कलम मेरी खामोश नहीं

                           कलम मेरी खामोश नहीं, ये लिखती नई कहानी है। इसमें स्याही के बदले मेरी, आंखों वाला पानी है।। सृजन की सरिता इससे बहती झूठ नहीं ये सच है कहती। जीवन के हर सुख-दुख में ये, कलम सदा संग मेरे रहती॥ ये मेरी सहचरी,मेरी सहेली , मेरे … Read more

हिंदी दिवस पर विशेष कविता : भारत के माथे की बिंदी

फोटो -साभार (इंटरनेट) भारत के माथे की बिंदी,  हिंदी है हम सबकी  हिंदी ।  जिससे अपनी संस्कृति ज़िंदी, हिंदी है वो सबकी  हिंदी॥  भारत के माथे की बिंदी… हिंदी से विज्ञान बना है, हिंदी में इतिहास पला है।  इसकी पावन ऊर्जा से ही संस्कृति का विहान चला है।।   तबलों की थापें हैं, इसमें वीणा के … Read more

सरकारी शिक्षा की बदहाल स्थिति : जिम्मेदार कौन?

(आजकल हम देखते हैं  कि सोशल मीडिया पर अधिकांश समूहों में, समाचार पत्रों की सुर्खियों में,बड़ी-बड़ी सरकारी बैठकों में , गली मौहल्ले के नुक्कड़ों और चाय की दुकानों में  सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति पर विशेष चिंता प्रदर्शित की जा रही है । सरकारी शिक्षा की वर्तमान स्थिति की पड़ताल करती, सोचने पर मजबूर कर … Read more

लॉकडाउन में मजदूर

फोटो-इंटरनेट (साभार) सिर पर बड़ी गठरियाँ लादे, कंधों पर थैले लटकाये। लॉकडाउन का कर उल्लंघन, भीड़ बने,सड़कों पर छाये॥ शौक नहीं,इनको भ्रमण का, न कानून तोड़ना,है मंजूर। लाचार हुए नियति के हाथों, चल रहे निरंतर,ये मजदूर॥ जहाँ हैं,गर वहीं रहे तो, क्या खाएँगे,क्या ये पीयेंगे। काम नहीं,पैसा भी नहीं है, भूखे पेट,कब तलक जीएँगे॥ कौन … Read more

कहाँ कोरोना रोका साहब

…..प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’ फोटो(साभार)-इन्टरनेट कहाँ कोरोना रोका साहब, देते सबको धोखा साहब। घूम रहे सब खुल्लमखुल्ला, मार रहे हैं चौका साहब।। पचास केस पर लॉकडाउन था, बंद विलेज और हर टाउन था। गली कूचे सुनसान पड़े थे, शहर भी सब वीरान पड़े थे। अब लाखों में नंबर आया। तो सब कुछ है क्यों खुलवाया। यही … Read more

लॉकडाउन के चक्कर में

फोटो-इंटरनेट(साभार) हो गए हम बेहाल,सुनो जी, लॉकडाउन के चक्कर में। अरे बुरे हो गए हाल ,सुनो जी, लॉकडाउन के चक्कर में॥ हफ्ता भर तो मजे में बीता, किया बहुत आराम, टीवी देखा,नींद निकाली, नहीं किया कोई काम। उसके बाद तो पत्नी बोली,अब न तुम आराम करो, आटा गूँथो,सब्जी काटो, कुछ तो घर का काम करो॥ … Read more

मातृ दिवस पर तनुज पंत ‘अनंत’ की दिल को झकझोर देने वाली कविता ….

(तनुज पंत ‘अनंत‘  एक बैंक अधिकारी हैं।  लेखन,पठन-पाठन में रूचि व  साहित्य के क्षेत्र में प्रभावी दखल रखते हैं.) *मातृ दिवस* सिलवटों भरे खुरदुरे से सूने चेहरे शून्य ताकती नज़रें आंखों के गिर्द स्याह घेरे धोती के पल्ले से जबरन सिसकियां थामे यूं चुप्पी साधे चिपक गई हो जैसे जिव्हा तालू पर मैंने देखी हैं ऐसी माएं … Read more

शराब के ठेकों का खुलना और कोविड -19

                        देश मे कोविड -19 महामारी के चलते 04 मई 2020 से लाकडाउन का तीसरा चरण प्रारम्भ हो गया है । इस बार के लाकडाउन मे सरकार द्वारा कई रियायतें दी  गई हैं । सबसे बड़ी राहत शराब पीने वालों को मिली है। शराब … Read more