लॉकडाउन के चक्कर में

फोटो-इंटरनेट(साभार)
हो गए हम बेहाल,सुनो जी, लॉकडाउन के चक्कर में।
अरे बुरे हो गए हाल ,सुनो जी, लॉकडाउन के चक्कर में॥
हफ्ता भर तो मजे में बीता, किया बहुत आराम,

टीवी देखा,नींद निकाली, नहीं किया कोई काम।
उसके बाद तो पत्नी बोली,अब न तुम आराम करो,

आटा गूँथो,सब्जी काटो, कुछ तो घर का काम करो॥
न करो तो होगा बवाल,सुनो जी, लॉकडाउन के चक्कर में।
हो गए हम………
घर से निकले भाजी लेने,कदम सड़क पे बढ़ाया,

मित्र पुलिस का एक सिपाही, डंडा लेकर आया।
काँप-काँप कर,हाथ जोड़कर,की उससे फिर विनती,

इतने डंडे मारे उसने,करी न जिनकी गिनती।।
हर अंग हो गया लाल,सुनो जी,लॉकडाउन के चक्कर में।
हो गए हम………
बाहर जाते,घूम के आते, करते सैर- सपाटा,

बंद पड़े बाजार भी लेकिन ,पसरा है सन्नाटा।
पिज्जा-बर्गर की तो छोड़ो,मिले न आटा-दाल,

नाई की दुकान बंद है,बढ़ गए दाढ़ी – बाल।।
हम दिखने लगे बेताल,सुनो जी, लॉकडाउन के चक्कर में।
हो गए हम………
….प्रदीप बहुगुणा दर्पण

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