देशप्रेम पर एक प्रस्तुति : न तन चाहिए, न धन चाहिए, जन्नत के जैसा वतन चाहिए । टूट जाएंगे पिंजरे भी ए पंछियों उड़ने की दिल में लगन चाहिए। मंदिर का नहीं, मस्जिद का नहीं, इंसानियत का केवल जतन चाहिए।

                             न तन चाहिए, न धन चाहिए, जन्नत के जैसा वतन चाहिए । टूट जाएंगे पिंजरे भी ए पंछियों उड़ने की दिल में लगन चाहिए। मंदिर का नहीं,मस्जिद का नहीं, इंसानियत का केवल जतन चाहिए। नहीं कोई राजा, न कोई भिखारी, लगें … Read more