उपलब्धि: पहाड़ की बेटी श्रुतिका को मिलेगा राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार,शिक्षा महानिदेशक ने दी बधाई
पहाड़ की बेटी श्रुतिका चुनी गई राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार के लिए
ज्ञान,विज्ञान,साहित्य,समाचारों की ई-पत्रिका
पहाड़ की बेटी श्रुतिका चुनी गई राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार के लिए
“श्री देव सुमन”25 मई 1916 को,चम्बा के जौल गांव में जन्माहरीराम बडोनी और तारा देवी का सुपुत्रचार भाई – बहनों में सबसे छोटानाम श्री दत्त था कहलाया। (पिता के बारे में….)पिता थे एक वैद्य…ख्याति थी दूर-दूर तकफैला था.. हैजा का प्रकोप जबलोगों की सेवा में किया खुद को तत्पर थाना चिंता की खुद की…वैद्य … Read more
देवभूमि उत्तराखंड के जनपद टिहरी गढ़वाल के सुदूर गांव पाली की बेटी स्वाति सुयाल। देवभूमि उत्तराखंड की बेटी स्वाति सुयाल यादव ने बुधवार को श्रीलंका में संपन्न हुए मिसेज इंडिया इंक प्रतियोगिता के टॉप 25 में जगह बनाकर देवभूमि का नाम रोशन किया है।
आज जनपद देहरादून की इंस्पायर अवार्ड प्रतियोगिता का शुभारंभ निदेशक विद्यालय शिक्षा आरके कुंवर द्वारा किया गया। राजकीय इंटर कॉलेज मेंहूंवाला, देहरादून में आयोजित इस प्रतियोगिता में जनपद के चयनित बाल वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं।
इस लेखमाला के लेखक हैं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. नंद किशोर ढौंडियाल ‘अरूण’। इस कड़ी में जानते हैं क्रांतिकारी पत्रकार हरिराम मिश्र ‘चंचल’ Hariram mishra chanchalके बारे में जो अक्तूबर 1980 से लापता हैं
कथा साहित्य के अमर हस्ताक्षर शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में 10 सितम्बर 1932 को हुआ था। शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इन्टरमीडियेट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का चयन ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए हो गया, जहां वो सन् 1986 तक सेवा में रहे। तत्पश्चात स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर आप आजीवन स्वतंत्र लेखन करते रहे।
उत्तराखंड के साहित्यकार डॉ उमेश चमोला की उपलब्धियों में एक और कड़ी जुड़ गई है।उनकी अंग्रेजी में लिखित पुस्तक का अनुवाद जापानी भाषा में हो रहा है यह पुस्तक जापान के बच्चों को पढ़ाई जाएगी।
गिरीशचंद्र तिवारी गिर्दा के साथ भेंट करने का अवसर मुझे उस समय मिला, जब मैं उत्तराखंड राज्य की नवीन पाठ्य पुस्तकों के लेखन के क्रम में प्राथमिक कक्षाओं हेतु गणित विषय की पुस्तकें लिख रहा था। मुझे याद है ऋषिकेश उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध गेस्ट हाउस में हमारे लेखन मंडल के अनेक सदस्य ठहरे हुए थे। उस समय प्रदेश स्तरीय एक विशेष समिति के सदस्य के रूप में गिर्दा को भी आमंत्रित किया गया था । गिर्दा के नाम से परिचय तो पहले से था, लेकिन गिर्दा से मिलने,उनके साथ रहने का अवसर उसी लेखन कार्यशाला के दौरान मिला । गिर्दा को करीब से जानने का अवसर मिला तो लगा जैसे जमीन से जुड़ा लोक जीवन का कोई चितेरा हमारे साथ हो। सरल व्यक्तित्व और फक्कड़ जीवन की प्रतिमूर्ति गिर्दा की वह छवि मुझे आज भी याद है।