श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि पर विशेष: नरेश रावत की कविता…

Poem on sridev suman

                              “श्री देव सुमन”
25 मई 1916 को,चम्बा के जौल गांव में जन्मा
हरीराम बडोनी और तारा देवी का सुपुत्र
चार भाई – बहनों में सबसे छोटा
नाम श्री दत्त था कहलाया।

(पिता के बारे में….)
पिता थे एक वैद्य…ख्याति थी दूर-दूर तक
फैला था.. हैजा का प्रकोप जब
लोगों की सेवा में किया खुद को तत्पर था
ना चिंता की खुद की…वैद्य धर्म को ही सर्वोच्च माना
दुर्भाग्य से आए थे चपेट में इसके… और हुई असम्यक मृत्यु थी|

बालक श्री दत्त के सर से…. साया पिता का जो गया
बचपन में ही संघर्षों का…मानो पहाड़ आ खड़ा हुआ
लेकिन बालक श्री दत्त ने, पिता के सिद्धांतों का… ना कभी विस्मरण किया
उनके पद चिन्हों पर चलने का…  सदा ही प्रयास किया।
प्रारंभिक शिक्षा हुई गांव में
उच्च शिक्षा के लिए जाना…देहरादून पड़ा
और यही से ही…
राष्ट्र और राष्ट्रीयता के भावों का ह्रदय में…संचार हुआ
लेखनी को बनाया… हथियार अपना
“सुमन सौरभ” नामक काव्या का संकलन किया
नाम तभी से…श्री दत्त से श्री सुमन हुआ।

डांडी मार्च में लिया भाग…तो
14 दिन का… हुआ कारावास था

वापस जब “रियासत-ए- टिहरी” आए
देख राजशाही के जुल्मों को…खुद को ना फिर रोक पाए
लिया बेड़ा फिर…
राजशाही रहे बेसक…लेकिन प्रजा के प्रति उत्तरदाई हो
ना हो करों का अति रोपण
ना जनता का अति शोषण हो।
किया संगठित जन सैलाब को
जन-जन तक…अपने विचारों का प्रसार किया
कर दिया समर्पित खुद को, निज सुखों का त्याग किया
मातृभूमि की सेवा में खुद को अब समर्पित किया।

इसी दौरान….
सुमन का विनय लक्ष्मी से संजोग हुआ
सुमन थे चिंतित इससे… लेकिन जब साथ विनय लक्ष्मी का मिला
खुद को धन्य समझ…
सुमन….अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ चले…।

राजा ना सुनता था… बात कोई
नित्य करता था … वो करों में वृद्धि
भांति-भांति के कर लगाकर, करता प्रजा का… था शोषण।

सुमन ने फिर “प्रजामंडल” का विचार किया
और देहरादून में जाकर… आखिर इसका सृजन किया
राजा ने भी सुमन की इन गतिविधियों का… अब संज्ञान लिया
कर दिए कानून सब लागू…
नहीं है सुमन को आने की अब अनुमति
ना ही प्रजामंडल को मान्यता है।

(टिहरी रियासत आते समय…)
सुमन भी अड़ गए… चंबाखाल के मैदान में डट गए
3 दिन और 3 रातों तक… इंतजार अनुमति का किया
ना हटे पीछे जब…तब पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया

टिहरी के जेल में उन्हें… बैरक नंबर 8 में रखा
जेलर ने भी जेल में..किए अत्याचार बहुत
लेकिन सुमन रहे अडिंग…एक बार भी ना हुए विचलित।

समझ गई अब राजशाही थी
ना झुकेगा ये अब….ना ही पीछे हटेगा
लगा झूठा आरोप देशद्रोह का
उनको 3 सालों का कारावास दिया..
लेकिन सुमन अभी भी..अपनी मांगों को लेकर थे अडिंग
ना सुनी गई बात जब…
सुमन ने भी अब रण भांप लिया.. अपना अन्तिम अब वार किया….

(…मिलने दिया जाय राजा से
मुझे पत्राचार की आज्ञा हो
प्रजामंडल को मान्यता दो….)

मान लो मांगो को मेरी….
अगर ना मानी गई मांगे मेरी
तो..मैं अब रण करूंगा
मैं अब… आमरण अनशन करूंगा…

लेकिन फिर भी राजशाही के कानो में … जू तक ना रेंगी



तत्पश्चात…
3 मई 1944 का दिन बना ऐतिहासिक था
सुमन जी ने लिया प्रण…अब आमरण अनशन का था
बढ़ते गए प्रयास…. तोड़ने के उनको
लेकिन सुमन जी ना अब…झुकने वाले थे..
कह दिया था उन्होंने भी अब…
“तुम मुझे तोड सकते हो..लेकिन मोड नहीं सकते”
मैं अब बढ़ चला हूं अपने कर्म पथ पर…अब बस मंजिल पाना ही अंत है।

धीरे-धीरे बीतता गया समय….
हुई खराब तबियत…तो डाक्टर को बुलाना पड़ा
देख हालत सुमन की… डॉक्टर ने कहा
सुमन जी खा लो कुछ … छोड़ भी दो अब ये जिद्द
समय नही है ज्यादा अब…शरीर भी हो रहा शिथिल है
लेकिन सुमन भी कहाँ झुकने वाले थे…
सुमन ने कहा… मांगे ना होगी पूरी जब तक… तब तक मैं, ये अनशन करूंगा
इससे भी ना झुकी सरकार अगर तो..अपने प्राणों का मैं बलिदान करूंगा…
लेकिन गूंगी सरकार फिर भी… कानों में तेल डाले बैठी थी
ना अंदेशा था तूफ़ान का कोई…ना ही आँधी का कोई अनुभव था|

और फिर….आखिर में…एक दिन
84 वे दिन (25 जुलाई 1944) की मध्यरात्रि को सुमन हो गए…शहीद थे
कर दिए प्राण न्योछावर , सर्वस्व अपना बलिदान किया
28 साल की मात्र आयु में… सुमन जी … ने ऐसा काम किया|

और अब अंत में…
शत शत नमन है उस माता को…जिसने ऐसे पुत्र को जन्म दिया
शत शत नमन है उस पिता को… जिसने ऐसे पुत्र को संस्कार दिए
और…
शत शत नमन है उस पत्नी को…जिसने पति का ऐसा साथ दिया… ।।

( जनपद टिहरी के ग्राम खरसाड़ा में जन्मे नरेश रावत वर्तमान में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान टिहरी गढ़वाल में प्रशिक्षु अध्यापक हैं। )

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