Shekhar Joshi । नहीं रहे उत्तराखंड के मशहूर कथाकार शेखर जोशी। चला गया दाज्यू की पीड़ा का चितेरा…

वर्तमान युग में कथा कहानी की बात करें, तो शेखर जोशी का नाम लिए बिना पूरी नहीं हो सकती। कोसी का घटवार, दाज्यू,बदबू, मेंटल जैसी कई कालजयी कहानियों के अमर लेखक शेखर जोशी का आज गाजियाबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया।

Shekhar joshi

शेखर जोशी का जीवन परिचय

कथा साहित्य के अमर हस्ताक्षर शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में 10 सितम्बर 1932 को हुआ था। शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इन्टरमीडियेट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का चयन ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए हो गया, जहां वो सन् 1986 तक सेवा में रहे। तत्पश्चात स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर आप आजीवन स्वतंत्र लेखन करते रहे। आज 04 अक्टूबर 2022 को लंबी बीमारी के बाद गाजियाबाद के एक अस्पताल में आपने अंतिम सांस ली।

शेखर जोशी का साहित्यिक योगदान

शेखर जोशी ने पहाड़ के जीवन को जीया, पहाड़ की समस्याओं, यहां के लोगों, की भावनाओं आदि का प्रत्यक्ष चित्रण उनकी कहानियों में शामिल हुआ है। दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने शेखर जोशी को हिंदी साहित्य के कथाकारों की अग्रणी श्रेणी में खड़ा कर दिया। उन्होंने नई कहानी को अपने तरीके से प्रभावित किया। पहाड़ के गांवों की गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, प्रतिरोध, उम्मीद और नाउम्मीदी से भरे औद्योगिक मजदूरों के हालात, शहरी-कस्बाई और निम्नवर्ग के सामाजिक-नैतिक संकट, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियां आदि उनकी कहानियों के विषय रहे हैं। शेखर जोशी की प्रमुख प्रकाशित रचनाओं में : —
कोशी का घटवार 1958, साथ के लोग 1978, हलवाहा 1981, नौरंगी बीमार है 1990, मेरा पहाड़ 1989, डागरी वाला 1994, बच्चे का सपना 2004, आदमी का डर 2011, एक पेड़ की याद, प्रतिनिधि कहानियां आदि शामिल हैं।उनकी कहानी दाज्यु पर चिल्ड्रंस फिल्म सोसाइटी द्वारा बाल फिल्म का निर्माण भी किया गया है।

उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध कहानीकार के आकस्मिक निधन पर भावसंचय की तरफ से सादर नमन।

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