धराली की पीड़ा पर श्रुति की मार्मिक कविता

    धराली की पीड़ा पर…मेरे शब्द जैसे मौन से हो गए हैं।धराली की धड़कनों के साथ,वो भी कहीं खो गए हैं ।लोगों की चीखें, रुदन की आवाजें,दिल दहला देने वाले वो मंज़रआंखों के सामने हैं।जिनकी तलाश है, वो कहीं भी दिख नहीं रहे हैं।रो रही है हर वो आंख ,जो थाल सजा कर बैठी थी।सूनी … Read more

सोचने पर मजबूर कर देगी विरेंद्र नौडियाल की ये कविता… हम गोल गोल घूमे

हम गोल गोल घूमे, गूगल हो गए…लहलहाती फसलें हमारी नस्लेंमाटी की महक पंक्षियों की चहकबरगद की छांव वो चौपाल चबूतरेहम गोल गोल घूमे, गूगल हो गए…साग-सब्जी का स्वाद, गोबर की खादधारों स्रोतों का पानी, अल्हड़ जवानीखेतों की मेहनत वो रोटी की जुगतहम गोल गोल घूमे, गूगल हो गए…हुलेरों का टोला रीति रिवाजों का मेलाहक्कारों की … Read more

श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि पर विशेष: नरेश रावत की कविता…

                              “श्री देव सुमन”25 मई 1916 को,चम्बा के जौल गांव में जन्माहरीराम बडोनी और तारा देवी का सुपुत्रचार भाई – बहनों में सबसे छोटानाम श्री दत्त था कहलाया। (पिता के बारे में….)पिता थे एक वैद्य…ख्याति थी दूर-दूर तकफैला था.. हैजा का प्रकोप जबलोगों की सेवा में किया खुद को तत्पर थाना चिंता की खुद की…वैद्य … Read more