धराली की पीड़ा पर श्रुति की मार्मिक कविता
धराली की पीड़ा पर…मेरे शब्द जैसे मौन से हो गए हैं।धराली की धड़कनों के साथ,वो भी कहीं खो गए हैं ।लोगों की चीखें, रुदन की आवाजें,दिल दहला देने वाले वो मंज़रआंखों के सामने हैं।जिनकी तलाश है, वो कहीं भी दिख नहीं रहे हैं।रो रही है हर वो आंख ,जो थाल सजा कर बैठी थी।सूनी … Read more