नवम अगस्त्य फाऊंडेशन तथा एससीईआरटी उत्तराखंड के द्वारा कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए डिजाइन थिंकिंग पर आधारित व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा सहयोग प्रणाली की शुरुआत की जाएगी। इससे छात्रों तथा शिक्षकों के लिए कई नवीन अवसरों और संभावनाओं का सृजन हो सकेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बच्चों में अनुभव आधारित अधिगम , समस्या समाधान और समालोचनात्मक चिंतन की प्रवृत्ति के विकास पर बाल देती है। इसी को ध्यान में रखकर एससीईआरटी उत्तराखंड राज्य में कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए नवम फाउंडेशन के सहयोग से डिजाइन थिंकिंग पर एक नवाचारी कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहा है। कार्यक्रम को लेकर विस्तृत विचार विमर्श हेतु 4 अप्रैल 2024 को एससीईआरटी उत्तराखंड के सभागार में एक बैठक का आयोजन किया गया।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड बंदना गर्ब्याल की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में नवम फाउंडेशन के नितिन देसाई, आलोक द्विवेदी और उनकी टीम ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण के माध्यम से डिजाइन थिंकिंग कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य समस्या समाधान, समालोचनात्मक चिंतन जैसे कौशलों को विकसित कर अनुभवात्मक अधिगम को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तराखंड के नवाचारी शिक्षकों और छात्रों को लेकर वीडियो सीरीज का निर्माण किया जाएगा, जिसका प्रसारण टेलीविजन चैनलों के माध्यम से किया जाएगा। इसके अतिरिक्त शिक्षकों और छात्रों के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएगा। टेक्नो मेला, इंस्पायर अवार्ड मानक प्रदर्शनी,विज्ञान मेला, विज्ञान संबंधी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने, नवाचारी प्रोटोटाइप और प्रोजेक्ट आदि का निर्माण करने और उनमें सुधार करने के लिए बच्चों और मार्गदर्शक शिक्षकों को पूर्ण सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके अतिरिक्त नवाचारी शिक्षकों और छात्रों को विज्ञान और तकनीकी संबंधी उच्च संस्थानों का भ्रमण और उनमें प्रशिक्षण भी दिलवाया जाएगा। इस कार्यक्रम की विशेषता यह भी रहेगी कि इसमें विज्ञान शिक्षकों के अतिरिक्त वैज्ञानिक अभिवृत्ति रखने वाले किसी भी विषय के शिक्षक प्रतिभाग कर सकेगें। उन्होनें कार्यक्रम और नवाचारों से संबंधित कई वीडियो और अध्ययन सामग्री का भी प्रदर्शन किया।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड बंदना गर्ब्याल ने कहा कि हमारा उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप छात्र छात्राओं में 21 वीं सदी के प्रमुख कौशलों समालोचनात्मक चिंतन, समस्या समाधान, करके सीखना आदि का विकास करना है। डिजाइन थिंकिंग समस्या को समझने, उसका समाधान ढूंढने और निरंतर सुधार हेतु प्रयासरत रहने की दिशा प्रदान करती है, इसलिए यह कार्यक्रम छात्र छात्राओं और शिक्षकों के लिए उपयोगी हो सकेगा।
संयुक्त निदेशक कंचन देवराडी ने डिजाइन थिंकिंग पाठ्यक्रम की समीक्षा करते हुए बताया कि छात्रों की रचनात्मकता और चिंतनशीलता को बढ़ावा देने के लिए यह कार्यक्रम तैयार किया गया है।
सहायक निदेशक डॉ के एन बिजल्वाण ने नवम फाउंडेशन के सीईओ तथा अन्य प्रतिनिधियों के साथ कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर विस्तृत चर्चा की, तथा अपनी शंकाएं एवं प्रश्नों पर उनसे जानकारी ली। उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम की पहुंच राज्य के सभी शिक्षकों और छात्रों तक होनी चाहिए।
विज्ञान समन्वयक देव राज सिंह राणा ने राज्य विज्ञान प्रदर्शनियों के लिए इस पाठ्यक्रम से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी ली। प्रवक्ता सुधीर नौटियाल ने PMeVidya चैनल के साथ इस कार्यक्रम के वीडियो को चलाए जाने के संबंध में जानकारी मांगी। भौतिकी संकाय सदस्य प्रदीप बहुगुणा ने राज्य के छात्रों के लिए चल रहे सभी अभिनव कार्यक्रमों के साथ इस पाठ्यक्रम को एकीकृत करने की वकालत की, जिससे इन सभी कार्यक्रमों में डिजाइन थिंकिंग का लाभ मिल सके। इंस्पायर अवार्ड समन्वयक डा. अवनीश उनियाल ने इस कार्यक्रम के अंतर्गत होने वाले शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था और समयावधि पर अपनी शंका व्यक्त की। इसके अलावा, कार्यक्रम समन्वयक और एससीईआरटी आईटी संकाय के प्रतिनिधि आर. पी. बडोनी ने डिजाइन थिंकिंग की अवधारणा और इसके क्रियान्वयन के बारे में विस्तार से बताया, बच्चों को उद्यमी बनने और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने में इसके लाभों पर प्रकाश डाला।
सीईओ नितिन देसाई द्वारा संचालित समापन सत्र में सामान्य प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया गया, जिससे राज्य में कार्यक्रम की रूपरेखा को स्पष्टता मिली। कार्यक्रम समन्वयक आर पी बडोनी द्वारा फीडबैक फॉर्म भी वितरित किए गए, जिससे माध्यम से प्रतिभागियों ने राज्य के स्कूली बच्चों के लिए पाठ्यक्रम सामग्री और इसकी उपयोगिता पर अपने विचार साझा किए गए।
बैठक में एससीईआरटी से प्रवक्ता कामाक्षा मिश्रा,राकेश रावत, एस पी वर्मा भी उपस्थित रहे।