राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) उत्तराखंड द्वारा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व ऑटिज्म दिवस पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया
ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों को समझने और उनके परामर्श और समर्थन के महत्व को समझकर उनके लिए समावेशी वातावरण का निर्माण करना इस कार्यक्रम का उद्देश्य था।
कार्यक्रम का संचालन एवं प्रस्तुतीकरण एससीईआरटी संकाय सदस्य प्रिया गुसाईं एवं अनुज्ञा पैन्यूली द्वारा किया गया। उन्होंने एएसडी की बारीकियों को समझाया तथा इसकी पहचान और निदान करने के महत्व पर जोर दिया। प्रतिभागियों ने ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल ने समावेशी शिक्षा की वकालत करते हुए ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के प्रति सहानुभूति, स्वीकृति और सार्थक जुड़ाव को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
संयुक्त निदेशक, आशा पैन्यूली ने कहा कि हमारा प्रयास मिथकों को दूर करना, सहानुभूति को बढ़ावा देना और ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों की सामाजिक स्वीकृति को बढ़ावा देने की दिशा में होना चाहिए। उन्होंने ऑटिस्टिक लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले लोगों और संगठनों के विभिन्न जीवंत उदाहरण भी दिए।
सहायक निदेशक मुकेश सेमवाल ने समावेशी शिक्षण और कक्षा प्रबंधन के लिए शिक्षकों को प्रभावी रणनीतियों से लैस करने के संबंध में विचार साझा किए। उन्होंने न केवल कक्षाओं में बल्कि हमारे पड़ोस में भी ऑटिस्टिक बच्चों की मदद करने पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम में जागरूकता फैलाने, अनुभव साझा करने, सलाह लेने और बनाना शामिल है। प्रतिभागियों ने ऑटिस्टिक बच्चों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझने,उनके लिए उचित संसाधनों तक पहुंचने, उनके अधिकारों की रक्षा और समाज की मुख्यधारा में उन्हें शामिल करने के बारे में अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम में एस सी ई आर टी के अधिकारी, संकाय सदस्य उपस्थित रहे।