एससीईआरटी ने आयोजित की बाल सखा प्रकोष्ठ के समन्वयकों की दो दिवसीय कार्यशाला

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड के शैक्षिक शोध, सर्वे एवं मूल्यांकन विभाग द्वारा आयोजित कैरियर और काउंसलिंग संबंधी बालसखा प्रकोष्ठ के समन्वयकों की दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हो गया।

उत्तराखंड के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के कैरियर संबंधी मार्गदर्शन और परामर्श के लिए चलाए जा रहे बालसखा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में बालसखा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड के शैक्षिक शोध, सर्वे एवं मूल्यांकन विभाग द्वारा 5 और 6 फरवरी को बालसखा समन्वयकों की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सीमैट सभागार देहरादून में किया गया।

कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ साथ छात्रों को रोजगार के विभिन्न अवसरोंकी जानकारी प्रदान करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज की धुरी होता है, उसे ही रोल मॉडल मानकर बच्चे अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। शिक्षकों को कैरियर मार्गदर्शक  की सर्वश्रेष्ठ भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।

अपर निदेशक एससीईआरटी अजय कुमार नौडियाल ने बताया कि बालसखा कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को बच्चों को स्कूल एवं भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना, उनकी मनोवैज्ञानिक और करियर संबंधी समस्याओं को दूर करना और ऐसे सभी क्रियाकलापों को आयोजित करना है, जिनसे बच्चे मानसिक और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकें।

संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य के प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में बालसखा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है, जिसके द्वारा कैरियर एवं काउन्सलिंग कार्यक्र‌मों को  जन-जन तक पहुँचने का प्रयास किया जा रहा है।

कार्यशाला के दौरान सभी जनपदों से आए बलसखा समन्वयकों द्वारा अपने जनपदों में बालसखा कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों की साझेदारी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से की।

कार्यशाला के संचालन में एससीईआरटी से प्रिया गुसाईं,  डा.मनोज कुमार शुक्ला, नविता भंडारी, आशा नकोटी, आशीष कुकरेती आदि ने योगदान दिया।

होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड पर भी हुआ मंथन

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण के कक्ष में आयोजित एक अन्य बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बच्चों के समग्र आकलन की दृष्टि से निर्मित हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड पर मंथन किया गया।

निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड बंदना गर्ब्याल की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में चर्चा हुई कि होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एच.पी.सी.) विद्यार्थियों के समग्र विकास को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण होगा। इसका लक्ष्य छात्रों के शैक्षिक, सांस्कृतिक, चारित्रिक, और आत्मिक विकास को समझने और समर्थन करने में सहायक होगा।  यह कार्ड विद्यार्थियों के सभी क्षेत्रों में प्रगति को मापता है और उनके प्रोफाइल को एक आंतरिक और बाहरी समाधान के रूप में प्रस्तुत करता है। NEP-2020  के अनुसार, इस  प्रोग्रेस कार्ड के माध्यम से विभिन्न गुणों, कौशलों, और प्रतिभाओं को मापने के लिए संपूर्ण और विश्वसनीय डेटा प्राप्त होगा। इसके अलावा, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एच.पी.सी.) छात्रों के विकास में सहायक और संरक्षक की भूमिका को भी प्रदर्शित करेगा  जिससे छात्र की  समग्र प्रगति और स्थिति का पर्याप्त ध्यान रखा जा सके।

बैठक में अजय नौडियाल, अपर निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखंड, कंचन देवराड़ी, संयुक्त निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखंड,  राकेश जुगराण, प्राचार्य, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून, कमला बडवाल, उपनिदेशक, प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय (प्रतिनिधि निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा, उत्तराखंड), श्री चंडी प्रसाद रतूड़ी, उपनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय (प्रतिनिधि निदेशक, माध्यमिक शिक्षा),अजीत भंडारी, उप राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा, डॉ. दीपक प्रताप सिंह, प्रवक्ता एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखंड, डॉ.  रंजन भट्ट, प्रवक्ता एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखंड, अंजुम फातिमा, समग्र शिक्षा एवं नेहा रावत, समन्वयक, समग्र शिक्षा उत्तराखंड के द्वारा भी होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एच.पी.सी.) को राज्य में लागू किए जाने के सम्बन्ध महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए गए ।

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