भ्रष्टाचार भाई भतीजावाद के इस वर्तमान दौर में प्रस्तुत हैं…प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’की ये क्षणिकाएं … पढ़िए पसंद आने पर शेयर जरूर कीजिएगा…
भ्रष्टाचार!
हमारा विशेषाधिकार।
चुनाव जीते हैं भई,
हम हाकम, हम ही सरकार।।
रोजगार!
हमारे रिश्तेदार।
उनका विशेषाधिकार,
फिर क्यों हाहाकार।।
पत्रकार !
लोकतंत्र के पहरेदार?
हो गई क्यों कुंद,
कलम की धार।।
… प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’
कवि परिचय:
प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’
देहरादून, उत्तराखंड
शिक्षा: एम.एस. सी.(भौतिकी),एम.ए.(हिंदी, शिक्षाशास्त्र), बी.एड.
सम्प्रति: प्रवक्ता(भौतिकी), माध्यमिक शिक्षा विभाग उत्तराखंड
लेखन: ‘आवाज’ व ‘दो कदम’ साझा काव्य संग्रह, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख, व्यंग्य व कविताएं,
21वीं सदी के श्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय व्यंग्यकारों में शामिल,
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा विभाग की पाठ्य पुस्तकों व शिक्षक प्रशिक्षण साहित्य का लेखन व सम्पादन, रूम टू रीड संस्था हेतु बाल कहानी लेखन
सम्पादन: बुनियाद तथा अंकुर पत्रिकाओं का सम्पादन, शैक्षिक दखल पत्रिका में सम्पादन सहयोग।
प्रसारण: आकाशवाणी और दूरदर्शन से कहानियों, कविताओं तथा शैक्षिक व्याख्यानों का प्रसारण
हम हाकम, हम ही सरकार, बहुत सुंदर
बढ़िया. अच्छा व्यंग्य.
बहुत सुंदर sir