विद्यालयी शिक्षा विभाग उत्तराखंड में शिक्षकों की वर्षों से लंबित पदोन्नतियों के कारण अधिकांश विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं, जिसके कारण विभाग की व्यवस्था पटरी से उतर रही है। इस स्थिति के लिए विभाग में अनिर्णय कि स्थिति जिम्मेदार है।यह बात एससीईआरटी उत्तराखंड के राजकीय शिक्षक संघ शाखा के अध्यक्ष अंकित जोशी ने एक प्रेस नोट जारी कर कही।
डॉक्टर अंकित जोशी ने कहा कि विद्यालयी शिक्षा विभाग वरिष्ठता विवाद के मकड़ जाल में बुरी तरह से फँसा हुआ है । विभाग द्वारा वरिष्ठता पर अनिर्णयता के कारण उत्तराखंड की स्कूली शिक्षा पटरी से उतर गई है । विद्यालयों में प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक के पद रिक्त हो गए, प्रवक्ताओं के पदोन्नति वाले पद रिक्त चल रहे हैं । जिसके कारण शिक्षकों में हताशा है,बिना पदोन्नति के शिक्षक एक ही पद से रिटायर हो रहे हैं। रिक्त पदों के कारण छात्रों की भी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है।
बड़े प्रशासनिक ढांचे के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह
अंकित जोशी के अनुसार जब तीन निदेशालय और दो मण्डल कार्यालयों के होते हुए विद्यालयों में न तो शिक्षक ही हैं और न ही प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक तो ऐसे में इन निदेशालयों और मण्डल कार्यालयों का औचित्य ही समाप्त हो जाता है । ये केवल राज्य पर बोझ बनकर रह गये हैं । जब स्थानांतरण अधिनियम होने के बावजूद समय सारणी के अनुसार स्थानांतरण नहीं हो पाते और समयबद्ध पदोन्नतियाँ नहीं हो पा रही हों और बच्चों को शिक्षक व प्रधानाध्यापक तथा प्रधानाचार्य नहीं मिल पा रहे हैं तो इस भारी भरकम ढाँचे का कोई औचित्य नहीं रहता ।
विभाग के ढांचे का हो युक्तिसंगत पुनर्गठन
डॉक्टर जोशी ने कहा कि समय पर पदोन्नति, स्थानांतरण तथा वेतन संबंधी मामलों के समाधान न हो पाने के कारण शिक्षकों में तो हताशा और निराशा है ही साथ ही सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है । ऐसे में विद्यालयी शिक्षा विभाग के ढाँचे का युक्तिकरण करने की आवश्यकता प्रतीत होती है । उन्होंने सचिव वित्त के संगठनात्मक ढाँचे के युक्तिकरण संबंधी 9 अप्रैल, 2018 का पत्र जिसमें वेतन समिति द्वारा शिक्षा विभाग के युक्तिकरण हेतु सिफ़ारिशें की गई हैं को सरकार द्वारा लागू कर देना चाहिए ।