गौरवपूर्ण उपलब्धि, प्रो.नंद किशोर ढौंडियाल को मिलेगा साहित्यश्री नेशनल अवार्ड। Pro. Nand Kishor Dhaundiyal gets sahityashree national award

उत्तराखंड के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। हाल ही में घोषित साहित्य के राष्ट्रीय पुरस्कारों के क्रम में उत्तराखंड के वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर नंदकिशोर ढौंडियाल ‘अरुण’ को डॉक्टर अंबेडकर साहित्यश्री नेशनल अवॉर्ड 2022 के लिए चयनित किया गया है।

Pro. Nand Kishor Dhaundiyal gets sahityashree national award

देश भर से चयनित दो साहित्यकारों में से एक हैं प्रो.नंद किशोर ढौंडियाल ‘अरुण’

भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉक्टर अंबेडकर साहित्य श्री नेशनल अवार्ड के लिए पूरे भारतवर्ष से मात्र 2 साहित्यकारों का चयन किया गया है जिनमें से एक प्रोफेसर नंदकिशोर ढौंडियाल ‘ अरुण’ हैं। प्रोफेसर अरुण को यह पुरस्कार उनके साहित्य में शामिल दलित विमर्श तथा दलित चिंतन के संदर्भ में प्रदान किया जा रहा है। डॉक्टर अरुण ने अपनी विभिन्न पुस्तकों में उत्तराखंड के दलित महापुरुषों के जीवन चरित्र को विशेष स्थान दिया है। इसके अतिरिक्त उनके साहित्य में दलित तथा अपवंचित वर्ग की पीड़ा का समावेश सहज रूप से दिखाई पड़ता है। इतना ही नहीं अस्पृश्यता ,छुआछूत भेदभाव और दलित वर्ग के पिछड़ेपन के लिए भी वह अपने साहित्य में आवाज उठाते नजर आते हैं। उन्होंने वंचित, शोषित, उपेक्षितों को गढ़वाल की दिवंगत विभूतियों सहित विभिन्न साहित्यों में शिल्पकारों की शिल्पकला को उभारा है। उन्होंने बताया कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गढ़रत्न कर्मवीर जयानन्द भारती के अंग्रेजों के विरुद्ध पौड़ी पराक्रम दिवस 06 सितम्बर 1932 व डोला पालकी आंदोलन आदि को अपनी लेखनी के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया है, तो दूसरी ओर उत्तराखंड में भूदान आंदोलन के प्रणेता सोहन लाल भू-भिक्षु उर्फ स्वामी योगानन्द महाराज व समाज सुधार आंदोलन में आर्य समाज के योगदान को भी रेखांकित किया है। उनके इस साहित्यिक योगदान के लिए उनका राष्ट्रीय स्तर पर चयन किया गया है।

प्रो.नंद किशोर ढौंडियाल ‘अरुण’-संक्षिप्त परिचय

उत्तराखंड के जनपद पौड़ी गढ़वाल के सुदूरवर्ती गांव सिलेत में जन्मे स्वर्गीय पंडित सीताराम ढौंडियाल और श्रीमती रेवती देवी के सुपुत्र प्रोफेसर नंदकिशोर ढौंडियाल ‘अरुण’ उत्तराखंड के वरिष्ठ साहित्यकार हैं ।उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड से हिंदी के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त डॉक्टर अरुण की साहित्यिक यात्रा उनकी किशोरावस्था से अब तक अनवरत जारी है।कविता, नाटक, जीवनी,निबंध जैसी लगभग सभी साहित्यिक विधाओं पर उनकी सौ से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सात वृहद खंडों में प्रकाशित गढ़वाल की दिवंगत विभूतियां(सन1980 के पश्चात), गढ़वाली भाषा है बोली नहीं, पेशावर का शांति शार्दुल, उत्तराखंड की जागर गाथाओं का कथा अंतरण, जननी और जन्मभूमि आदि उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं डॉक्टर अरुण के साहित्य पर कई शोधार्थी शोध भी कर चुके हैं तथा उनके अधीन कई शोधार्थियों ने अपना शोध कार्य में पूर्ण किया है।

दिल्ली में आयोजित होगा सम्मान समारोह

भारतीय दलित साहित्य अकादमी के मण्डलीय अध्यक्ष (गढ़वाल मंडल) सुरेन्द्र लाल आर्य ने बताया कि प्रोफेसर नंदकिशोर ढौंडियाल को यह सम्मान आगामी 11 दिसंबर को पंचशील आश्रम झड़ौदा, दिल्ली में अकादमी के 38वें साहित्यकार सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एसपी सुमनाक्षर व मुख्य अतिथि के द्वारा प्रदान किया जाएगा।

इस सम्मान की घोषणा पर आर्य गिरधारी लाल महर्षि दयानंद ट्रस्ट के संरक्षक वयोवृद्ध साहित्यकार चक्रधर शर्मा कमलेश, साहित्यांच्ल के अध्यक्ष जनार्दन बुड़ाकोटी, विश्वम्बर दयाल मुनि विश्वम्बर ट्रस्ट की अध्यक्षा लक्ष्मी देवी, साहित्यकार अनुसूया प्रसाद डंगवाल, प्रदीप बहुगुणा ‘ दर्पण,नागरिक मंच के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश नैथानी, कैप्टन पीएल खंतवाल, महेन्द्र अग्रवाल, डॉ. मनोरमा ढौंडियाल आदि ने प्रोफ़ेसर अरुण को शुभकामनाएं दी हैं।

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