लोकतन्त्र का काला सच या जनसेवा की हकीकत
सार्वजनिक अवकाश होने के कारण गुप्ता जी को आज कार्यालय जाने की कोई टेंशन नहीं थी। लंबी तानकर सोने का मन था। गुप्ता जी का मानना था कि जिंदगी का असली मजा तो सोने में है। बीबी- बच्चों से कल रात ही करबद्ध प्रार्थना कर ली थी कि कृपा करके सुबह- सुबह डिस्टर्ब न करें। बड़े – बड़े पुण्यकर्मों के बाद तो छुट्टी नसीब होती है, सो जी भरकर सो लेने दें ।