मतदान कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार पर विशेष: क्या है खाली पेटियों का रहस्य, भीडतंत्र के आगे लोकतंत्र लाचार

जनपद देहरादून में सभी नगर निकायों में कल मतदान वैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत विधिवत और शांतिपूर्ण संपन्न हुआ।मतदान प्रक्रिया में योगदान करने वाले सभी राजकीय कार्मिक बधाई के पात्र है , किन्तु देहरादून और ऋषिकेश के कुछ स्थानों पर मतदान संपन्न करने के पश्चात वापस लौटी पोलिंग पार्टियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाना अत्यंत निंदनीय … Read more

यहां खरीदी गई थी दुनिया की सबसे महंगी जमीन,बदले में मांगा था अद्भुत वरदान

यदि आप सोच रहे हैं की सबसे महंगी जमीन दुनिया में इंग्लैंड,अमेरिका, स्विट्जरलैंड,फ्रांस या किसी अन्य देश में है, तो आप गलत हैं दुनिया की सबसे महंगी जमीन का सौदा अगर कहीं आज तक हुआ है तो वह हुआ है अपने ही भारत में।

विशेष रिपोर्ट: बी आई एस स्टैंडर्ड्स क्लब के सदस्यों ने किया टपरवेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड सेलाकुई का भ्रमण

प्लास्टिक की अपनी अनेक खूबियाँ हैं। उदाहरण के लिए, प्लास्टिक बहुत किफायती, ढालने योग्य, पुन: प्रयोज्य, संभालने में आसान है और कांच या स्टील जैसी अन्य सामग्रियों की तुलना में उत्पादन में कम ऊर्जा लेता है।

Subir Raha Oil museum Dehradun| ONGC museum

Subir Raha oil museum dehradun

देहरादून में ओएनजीसी का यह म्यूजियम Subir Raha Oil museum Dehradun,  पटियाला के महाराज भूपेंद्र सिंह के महल में बनाया गया है। म्यूजियम के अंदर जाने के बाद हमें कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज के बारे में बताया गया कि किस तरह से मशीनों के द्वारा समुद्र के अंदर पाइप लाइन बिछाई जाती है और समुद्र से तेल को निकाला जाता है। म्यूजियम के प्रबंधक श्री केबी विनोद द्वारा ओएनजीसी एवं तेल मार्केटिंग कंपनियों में कैरियर संभावनाओं के विषय में भी विस्तार से बताया गया।

Shekhar Joshi । नहीं रहे उत्तराखंड के मशहूर कथाकार शेखर जोशी। चला गया दाज्यू की पीड़ा का चितेरा…

कथा साहित्य के अमर हस्ताक्षर शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में 10 सितम्बर 1932 को हुआ था। शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इन्टरमीडियेट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का चयन ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए हो गया, जहां वो सन् 1986 तक सेवा में रहे। तत्पश्चात स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर आप आजीवन स्वतंत्र लेखन करते रहे।

गिरीश तिवारी गिर्दा | लोक के स्वर की अनुगूँज | | girish tiwari girda in hindi|girda biography|poem of girda

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गिरीशचंद्र तिवारी गिर्दा के साथ भेंट करने का अवसर मुझे उस समय मिला, जब मैं उत्तराखंड राज्य की नवीन पाठ्य पुस्तकों के लेखन के क्रम में प्राथमिक कक्षाओं हेतु गणित विषय की पुस्तकें लिख रहा था। मुझे याद है ऋषिकेश उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध गेस्ट हाउस में हमारे लेखन मंडल के अनेक सदस्य ठहरे हुए थे। उस समय प्रदेश स्तरीय एक विशेष समिति के सदस्य के रूप में गिर्दा को भी आमंत्रित किया गया था । गिर्दा के नाम से परिचय तो पहले से था, लेकिन गिर्दा से मिलने,उनके साथ रहने का अवसर उसी लेखन कार्यशाला के दौरान मिला । गिर्दा को करीब से जानने का अवसर मिला तो लगा जैसे जमीन से जुड़ा लोक जीवन का कोई चितेरा हमारे साथ हो। सरल व्यक्तित्व और फक्कड़ जीवन की प्रतिमूर्ति गिर्दा की वह छवि मुझे आज भी याद है।