उल्लास कार्यक्रम बिखेरेगा नवसाक्षरों में ज्ञान का उल्लास, एससीईआरटी उत्तराखंड ने किया ये प्रयास

उत्तराखंड राज्य में प्रौढ़ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उल्लास कार्यक्रम के अन्तर्गत एससीईआरटी उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित पांच दिवसीय राज्य स्तरीय क्षमता सम्वर्द्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का आज समापन हो गया।

Capacity building workshop under ullas programme

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड बंदना गर्ब्याल ने अपने संदेश में कहा कि इस पांच दिवसीय कार्यशाला में तैयार पठन सामग्री उल्लास कार्यक्रम को जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से ले जाने में सहायक होगी। इस कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक उल्लास कार्यक्रम के विविध पक्षों जैसे-उल्लास प्रवेशिका के माध्यम से नव साक्षरों को सिखाने के तरीकों से परिचित हुए होंगे, और सीखे हुए ज्ञान को लाभार्थी एवं समुदाय तक पहुंचाने में भी सफल होंगे।

अपर निदेशक एससीईआरटी अजय कुमार नौडियाल ने कहा कि एनसीईआरटी, नई दिल्ली के राष्ट्रीय साक्षरता प्रकोष्ठ द्वारा नव साक्षरों के लिए उल्लास प्रवेशिका चार खण्डों में तैयार की गई हैै। और इसका एक संक्षिप्त संस्करण भी उल्लास के नाम से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में उल्लास में दी गई विषयवस्तु को उत्तराखण्ड की सामाजिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंगीकृत किया गया है। उन्होंने बताया कि यह पठन सामग्री नव साक्षर व्यक्तियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।

संयुक्त निदेशक एससीईआरटी आशा पैन्यूली ने कहा कि उल्लास का विस्तृत रूप अण्डरस्टैन्डिंग लाइफ लाॅन लर्निंग फाॅर ऑल इन सोसायटी है। जिसका अर्थ समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा है। उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में अंगीकृत पठन सामग्री इस कार्यक्रम के उद्देश्यों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सहायता करेगी।

राज्य साक्षरता प्रकोष्ठ, एससीईआरटी उत्तराखण्ड के समन्वयक डाॅ. हरेन्द्र सिंह अधिकारी ने बताया कि उल्लास कार्यक्रम पन्द्रह वर्ष से अधिक के उन लोगों के लिए है जो किन्हीं कारणों से शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाये हैं। उनके लिए तैयार प्रवेशिका उल्लास का उत्तराखण्ड की परिस्थतियों को ध्यान में रखते हुए अंगीकरण किया गया है। इसके अलावा नव साक्षरों को पढ़ाने वाले स्वंयसेवी शिक्षकों के मार्गदर्शन के लिए मार्गदर्शिका भी तैयार की गई है। समाज में साक्षरता के प्रति जागरूकता के लिए नारे, जिंगल और स्थानीय भाषाओं में गीत भी तैयार किये गये हैं।

कार्यशाला में गढ़वाली लोक गायक योगेश सकलानी ने साक्षरता पर आधारित गीतों को प्रस्तुत किया और जिंगल तथा साक्षरता आधारित गीतों के कलात्मक पक्ष पर अपने विचार भी रखे।

पांच दिवसीय इस कार्यशाला में संदर्भदाता के रूप में डाॅ. उमेश चमोला, नरेन्द्र सिंह बिष्ट, गोपाल सिंह गैड़ा, तथा कैलाश चन्दोला ने पठन सामग्री के विकास पर प्रतिभागियों का अभिमुखीकरण किया तथा समय-समय पर प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया। 
कार्यशाला में प्रतिभागियों का उल्लास कार्यक्रम के विविध पक्षों पर क्षमता अभिवर्धन किया गया तथा साक्षरता से सम्बन्धित पठ्न तथा आंकलन सामग्री का विकास भी किया गया।

इस कार्यशाला में एससीईआरटी से डाॅ. रमेश पन्त, दिनेश चौहान, अखिलेश डोभाल, अरूण थपलियाल तथा नीलम पंवार भी मौजूद थे। साक्षरता कार्यक्रम तथा सामग्री विकास में कृपाल सिंह शीला, लक्ष्मी नैथानी, उर्मिला डिमरी, रेखा बोरा, कौशल कुमार, डाॅ अरूण कुमार तलनिया, शिवराज सिंह तड़ागी, उपेन्द्र कुमार भट्ट, संजय भट्ट, कुन्दन सिंह भण्डारी, दिव्या नौटियाल, माधुरी दीक्षित, सोनिया, चन्द्रशेखर नौटियाल, विनीत भट्ट, हरीश नौटियाल, अरविन्द सिंह सोलंकी, अनवर अहमद, पल्लवी पुरोहित, प्रेेरणा बहुगुणा, डाॅ. संजीव डोभाल, सुधीर डोबरियाल, मंजू अग्रवाल, श्री नरेन्द्र सिंह नेगी तथा अनुपम प्रसाद ने योगदान दिया।

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