उत्तराखंड में होगी विद्यालयों की आपसी साझेदारी, एससीईआरटी तैयार करा रहा है दिशा-निर्देश

उत्तराखंड राज्य में विभिन्न सरकारी और निजी विद्यालयों के संसाधनों का लाभ एक दूसरे के साथ साझा करने के उद्देश्य से विद्यालयों की आपसी साझेदारी ( twinning) की जाएगी इस हेतु दिशा निर्देशों के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् उत्तराखण्ड़ द्वारा आज 18.01.2024 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसानुसार राजकीय एवं निजी विद्यालयों में परस्पर साझेदारी हेतु दिशा-निर्देश निर्माण संबंधी दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।

Workshop on guiedlines for twinning of schools in uttarakhand

कार्यशाला का शुभारंभ बंदना गर्ब्याल,निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड , प्रदीप रावत, मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून, डा० दिनेश बर्थवाल ,प्रधानाचार्य, दून इन्टरनेशनल स्कूल, डा० राकेश काला, प्रधानाचार्य, विलफिल्ड स्कूल,डी.पी.एस. गुप्ता, प्रधानाचार्य गुरूनानक एकेडमी, शैलेन्द्र अमोली, उप निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

कार्यशाला के प्रारम्भ में शैलेन्द्र अमोली द्वारा समस्त आगंतुकों का स्वागत सम्बोधन किया गया। तत्पश्चात मनोज किशोर बहुगुणा, कार्यक्रम समन्वयक द्वारा कार्यशाला के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए दो दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रतिभागियों के सम्मुख प्रस्तुत की गयी।

संयुक्त निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. आशारानी पैन्यूली ने सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विद्यालयों की साझेदारी हेतु बनाये गये निर्देश ऐसे हों जिन्हें सरलता से धरातल पर उतारा जा सके।

बंदना गर्ब्याल, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण ने समस्त प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इन दो दिवसों में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज तैयार किया जाना है, जो प्रदेश के बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने में सक्षम होगा। प्रदीप रावत, मुख्य शिक्षा अधिकारी, द्वारा विद्यालयों में परस्पर साझेदारी विषय पर अपना प्रस्तुतीकरण देते हुए शिक्षा को दर्शन से जोडते हुए कहा गया कि शिक्षा जगत के नेतृत्वकर्ताओं का दृष्टिकोण दार्शनिक होना चाहिए। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दर्शन के अनुसार शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो भारत के प्रत्येक नागरिक की आकांशाओं का नेतृत्व कर सके।

डा० मुकुल काण्डपाल, प्रधानाचार्य, शेर सिंह कार्की सरस्वती विहार पिथौरागढ़ ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्या भारती द्वारा समय-समय पर अपने अधीनस्थ विद्यालयों की ट्विनिंग हेतु सामूहिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इसी प्रकार के आयोजन भविष्य में अन्य विद्यालयों के साथ भी किये जा सकते है।

डा. बर्थवाल ने अपने वक्तव्य में सुझाव दिया कि हब्स ऑफ लर्निंग को दैनिक जीवन में किस प्रकार क्रियान्वित किया जाय इसकी विस्तृत रूपरेखा तैयार करनी होगी। इसी क्रम में अमित चन्द, खण्ड शिक्षा अधिकारी, जयहरीखाल ने सुझाव दिया कि विद्यालयों की साझेदारी का पूरा दायित्व संस्थाध्यक्ष और प्रबन्धन का है। इसकी साप्ताहिक शुरूआत नियमित सारणी तैयार कर, की जानी चाहिए, जिसके लिए संस्थाध्यक्ष और शिक्षकों को तैयार होना होगा। डा० के.एन. बिजल्वाण, सहायक निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. ने आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विद्यालयों की साझेदारी पर बल दिया। इस हेतु विद्यालयों को स्वयं का SWOT Analysis करना आवश्यक होगा।

कार्यशाला में विभिन्न जनपदों के राजकीय एवं निजी विद्यालयों के संस्थाध्यक्षों व शिक्षकों सहित राकेश जुगरान, डा० सुनीता भट्ट, प्रेमलता बौड़ाई, अजीत भण्डारी, तारा सिंह, प्रतिभा अत्री, दीपक नेगी, मनोज कुमार सिंह, भुवन चन्द्र कुनियाल, दिव्या नौटियाल,ज्योति राणा, अमरदीप सिंह, रमेश बडोनी, संगीता जोशी, गायत्री पाण्डे, संजय पूना, गौरव पंत,जगदीश सजवाण, पवन कुमार, रविदर्शन तोपाल, डा० कामाक्षा मिश्रा,संदीप कुमार शर्मा, सचिन नौटियाल आदि उपस्थित रहे।

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