जेंडर संवेदीकरण और राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर डायट देहरादून में संपन्न हुई अभिमुखीकरण कार्यशाला

workshop on gender sensitiation and scfse 2025 organised at diet dehradun

देहरादून 13 दिसंबर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में जनपद देहरादून के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत प्रधानाध्यापकों और प्रधानाचार्यों हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (विद्यालयी शिक्षा) – 2025 एवं जेंडर संवेदीकरण पर तीन दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यशाला दिनांक 11 से 13 दिसंबर तक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून में आयोजित कार्यशाला का आज समापन हुआ।

कार्यशाला का शुभारंभ प्राचार्य डायट हेमलता गौड़ उनियाल, पूर्व प्राचार्य डायट  राकेश जुगरान, पूर्व संयुक्त निदेशक प्रदीप कुमार रावत तथा वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया।

प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए अपने संबोधन में प्राचार्य हेमलता  गौड़ उनियाल  ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसे अब तक बुनियादी स्तर तथा विद्यालयी शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखाओं को तैयार कर लिया है। कार्यशाला में राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा तथा जेंडर संवेदीकरण पर होने वाले विमर्श को सभी संस्थाअध्यक्षों द्वारा  विद्यालयों में धरातल पर उतारा जाएगा।

डायट की जिला संसाधन इकाई के वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान तथा डॉ विजय सिंह रावत ने भारत में शिक्षा प्रणाली की विकास यात्रा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पूरी रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

कार्यशाला में पूर्व प्राचार्य डायट राकेश जुगरान ने राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (विद्यालयी शिक्षा) 2025 के दृष्टिकोण पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं मानवीय गुणों से युक्त चरित्रवान नागरिकों का निर्माण करना ही हमारी शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर तथा राज्य स्तर पर पाठ्यचर्या की रूपरेखाएं तैयार की गई हैं।

पूर्व संयुक्त निदेशक तथा शिक्षाविद प्रदीप कुमार रावत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की क्रॉस कटिंग थीम्स पर व्यापक रूप से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली का आधार मानववाद, वैज्ञानिकता, प्रकृति का संरक्षण तथा मानवीय मूल्यों की अवधारणा है। हमारे वेद, वेदांग, उपनिषद, पुराण रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्य, अनेक धर्मग्रंथ, विभिन्न भारतीय दर्शन आदि ज्ञान के असीमित ज्ञान भंडार हैं। अपनी प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, मूल्य आधारित शिक्षा का समावेश करके अपने राज्य की आवश्यकता के अनुरूप पाठ्यचर्या तैयार करना, यह एक महत्वपूर्ण कार्य है।इसमें संस्था प्रमुखों एवं अध्यापकों की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि वे प्रत्यक्ष रूप से समाज और विद्यार्थियों से जुड़े रहते हैं।

दूसरे दिन के सत्रों में एससीईआरटी उत्तराखंड के एनईपी प्रकोष्ठ के कार्यक्रम समन्वयक रविदर्शन तोपवाल और समन्वयक मनोज किशोर बहुगुणा ने राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2025 में प्रस्तावित विषयों एवं पाठ्यक्रम, समय सारणी, विद्यालयी संस्कृति और विद्यालयी प्रक्रियाएं तथा इनके सफल क्रियान्वयन हेतु सहयोगी तंत्र के निर्माण पर प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी।

        इस सत्र में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड वंदना गर्ब्याल ने सभी संदर्भदाताओं और प्रधानाचार्यों को संबोधित करते हुए राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने सभी संस्था प्रमुखों और शिक्षकों का आह्वान किया कि वे इस महत्वपूर्ण कार्य में अपना सर्वोत्तम योगदान देकर उत्तराखंड के शैक्षिक विकास की मुहिम का हिस्सा बनें।

इसके पश्चात डायट संकाय सदस्य दीपिका पंवार और सरिता रावत ने जेंडर संवेदीकरण जैसे मुद्दे पर रोचक और विचारोत्तेजक गतिविधियों की सहायता से परिवार, विद्यालय और समाज में जेंडर आधारित भेदभाव को दूर करने में शिक्षकों, संस्था प्रमुखों और विद्यालयों की भूमिका पर चर्चा की।

इस सत्र में उपस्थित जनपद देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार ढौंडियाल ने भी अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल कियान्वयन, परिषदीय परीक्षा की तैयारी एवं अन्य विभागीय योजनाओं के संचालन संबंधी विस्तृत जानकारी दी।

तीसरे दिन के सत्रों में सन्दर्भदाता प्रणय कुमार ने आनंदम पाठ्यचर्या का परिचय तथा शिशुपाल सिंह बिष्ट ने परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 में देहरादून जनपद के प्रदर्शन का विश्लेषण प्रस्तुत किया। इसके पश्चात दीपिका पंवार और सरिता रावत ने जेंडर संवेदीकरण पर जारी चर्चा को रोचक गतिविधियों और चलचित्र प्रदर्शन के माध्यम से आगे बढ़ाया।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए डायट के वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान ने सभी संदर्भदाताओं और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यशाला के लाभ को कक्षा कक्षों तक पहुंचाने का आह्वान किया।

कार्यशाला के दौरान सभी सत्रों में प्रतिभागियों के प्रश्नों एवं शंकाओं का समाधान भी प्रस्तुत किया गया।

कार्यशाला का समन्वयन एवं संचालन डायट संकाय सदस्य प्रणय बहुगुणा ने किया।

कार्यशाला में डायट संकाय सदस्यों शिशुपाल बिष्ट,अरुण थपलियाल एवं प्रेमलता बौड़ाई, प्रदीप बहुगुणा, परमानंद सकलानी, प्रदीप कुमार नैथानी , डॉ.दीपक नवानी, राकेश भट्ट, अतुल कुमार श्रीवास्तव,दलजीत सिंह,नेत्र सिंह,शैलेन्द्र कुमार सिंह , कुलदीप कंडारी, सुमन, संगीता, यशोदा, साक्षी, नंदावल्लभ पंत, रवि उनियाल, शिवानी पेटवाल,मनोज डोभाल, विनय कुमार,संजय मौर्य,नीरज छिब्बर, किरणपाल सिंह आदि सत्तर प्रधानाचार्यों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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