राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर उत्तराखंड में राष्ट्रीय सेमिनार, शिक्षा मंत्री ने की महत्वपूर्ण घोषणा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं और उनके क्रियान्वयन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्धन को साझा करने के उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया है, यह एक अभिनव प्रयास है जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात राज्यों सहित एनसीईआरटी नई दिल्ली और नीपा, नई दिल्ली के विशेषज्ञ सम्मिलित हुये ।

National seminar on NEP 2020 at uttarakhand

देहरादून में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने किया,उनके साथ विशिष्ट अतिथि के रूप मे विधायक लैंसडाउन महंत दिलीप रावत उपस्थित रहे।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ धनसिंह रावत ने सेमिनार की उपयोगिता को प्रासंगिक बनाये जाने पर जोर देते हुए कहा कि एन.ई.पी. की संकल्पना के अनुरूप कक्षा 2 तक के बच्चों को खेल खोज आधारित शिक्षा पर जोर दिया जाना होगा, साथ ही बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करना होगा। इसके लिये उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पाठ्यपुस्तकों को वार्षिक व अर्धवार्षिक परीक्षा के आधार पर विभाजित भी किया जा सकता है ।  उन्होंने कहा कि “हमारी विरासत” जैसी पुस्तक का विकास किया जाय, जिसमें प्रत्येक जनपद के महापुरुषों और स्थानीय इतिहास की गाथाओं को सम्मिलित किया जाय । उन्होंने कहा कि विद्यालयों में प्रत्येक छात्र अपने अध्ययन काल के दौरान सामाजिक गतिविधियों में अवश्य सम्मिलित हों, चाहे वो NCC, NSS, स्काउट या रेडक्रॉस की गतिविधि हो या वृक्षारोपण, नशामुक्ति, आदि कार्यक्रमों में प्रतिभाग करें तथा छात्र संस्कारवान बनें इस पर जोर दिया जाय।

उन्होंने स्कूलों का क्लस्टर बनाये जाने पर जोर दिया, साथ ही विद्यालयों को बंद न करते हुये क्लस्टर में सामूहिक रूप से पढ़ने पर जोर दिया ताकि शिक्षक भी भरपूर हों और कक्षा में छात्र भी पर्याप्त हों ताकि वे पढ़ाई के लिये अनुकूल छात्र संख्या और शिक्षक का लाभ ले सकेंगे। साथ ही उन्होंने प्रदेश को 2024 तक पूर्ण रूप से साक्षर बने इस पर कार्य किए जाने को प्रोत्साहित किया, प्रदेश में शिक्षकों की निजी विद्यालयों के साथ पियरिंग और ट्वीनिंग से शिक्षकों के नवाचारों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा जिससे छात्र लाभन्वित होंगे। उन्होंने यह भी कहा ये सब सुधार तब तक प्रभावी नहीं होंगे जब तक इन कार्यक्रमों को विद्यालय ठीक से संचलित नहीं करते इसके लिये विद्यालय अपेक्षित 220 दिन खुला रह सके इसके लिये उन्होंने निर्देश दिए कि शासन में एक चार सदस्यीय कमेटी गठित करें जो इस बात का अध्ययन करेगी कि विद्यालयों में कैसे 220 दिन सुचारू रूप से पढ़ाई की जा सके। साथ ही इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की गयी कि सभी विभागों द्वारा अपने कार्यक्रम थोप दिये जाते हैं इन्हें समाप्त किया जाना होगा।

सेमिनार में विभिन्न राज्यों से आए विशेषज्ञ प्रतिनिधियों ने अपने राज्य में संचालित सर्वोत्तम नवाचारों को साझा किया इसी क्रम में गुजरात राज्य से शिक्षा में सूचना और तकनीकी का समन्वयन विषय पर विशेषज्ञ श्री आशिफ सामंत और श्री कल्पेश कुमार मेहता के द्वारा प्रस्तुतीकरण दिया गया, इस पैनल के प्रमुख श्री एम एस बिष्ट, अपर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, गढ़वाल मंडल व पैनलिस्ट श्री एस बी जोशी सयुक्त निदेशक महानिदेशालय विद्यालयी शिक्षा व श्री नरबीर सिंह बिष्ट, उप निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा ने प्रतिभाग किया जिसमें उन्होंने बताया कि गुजरात राज्य में विद्यार्थी तथा शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति, छात्रों का ऑनलाइन मूल्यांकन और हर छात्र की यूनिक पहचान संख्या के द्वारा ऑनलाइन अनुश्रवण किया जाता है।

एन.सी.ई.आर.टी. नई दिल्ली से प्रो0 इंद्राणी भादुड़ी ने ग्रेड 3 से 12 तक बच्चों का समग्र मूल्यांकन करने पर प्रस्तुतीकरण दिया इस प्रेजेंटेशन में पेनल प्रमुख डॉ. आर डी शर्मा, अपर निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड व पैनलिस्ट श्री के के गुप्ता, मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार एवं अपर सचिव, रामनगर बोर्ड श्री बृजमोहन सिंह रावत रहे। प्रजेंटशन में कक्षा 3 से 12 तक प्रत्येक छात्र का कालांश एवं सत्रांत का पूर्ण मूल्यांकन किया जाएगा। बच्चों का सम्पूर्ण मूल्यांकन 360 डिग्री प्रगति कार्ड तैयार किया जायेगा, अभिभावक, छात्र तथा शिक्षकों के लिये बच्चे की शैक्षिक प्रगति के साथ उसके स्वास्थ्य, अभिरुचि, मूल्यों तथा जिज्ञासाओं का भी आंकलन करेगा।

सचिव विद्यालय शिक्षा श्री रविनाथ रामन ने सेमीनार की प्रासंगिकता को सराहते हुए कहा कि जनपदों में भी इस तरह के सेमीनार आयोजित किये जाने चाहिये जिनमे सभी स्टेकहोल्डर्स को भी बुलाया जाना चाहिये ताकि शिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे सुझावात्मक बदलावों को धरातल स्तर पर सभी समझ सकें।

महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड श्री बंशीधर तिवारी तथा निदेशक, माध्यमिक शिक्षा तथा अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड श्रीमती सीमा जौनसारी ने सेमीनार में आये हुए विशेषज्ञों व अधिकारियों एवं कर्मचारियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया और मा0 मंत्री विद्यालयी शिक्षा डॉ० धन सिंह रावत तथा मा० विधायक महंत दिलीप रावत जी का आभार व्यक्त किया गया।

विधायक लैंसडाउन महंत दिलीप रावत ने शिक्षा को संस्कारित बनाये जाने पर जोर दिया और कृषि को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़े जाने का समर्थन किया साथ ही शिक्षा में अनुसंधान को और अधिक प्रोत्साहित करने पर बल दिया ।

इस अवसर पर रविनाथ रमन,सचिव विद्यालय शिक्षा,बंशीधर तिवारी, विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक, सीमा जौनसारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा तथा अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल , निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा,रामकृष्ण उनियाल, अपर निदेशक, महानिदेशालय विद्यालयी शिक्षा,अपर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा महाबीर सिंह बिष्ट, अपर निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा विरेंद्र सिंह रावत, निदेशक संस्कृत एवं अपर निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा एस पी खाली, अपर निदेशक, एससीईआरटी डॉ आर डी शर्मा, अपर निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा अजय नौडियाल, अपर निदेशक सीमैट दिनेश चंद्र गौड़, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, सहित जिला शिक्षा अधिकारी गण, प्राचार्य गण डायट खंड शिक्षा अधिकारी गण, सहित एससीईआरटी , सीमैट, एन ई पी प्रकोष्ठ के अधिकारी कर्मचारी सेमीनार में उपस्थित रहे।

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