कहाँ कोरोना रोका साहब

…..प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’
फोटो(साभार)-इन्टरनेट
कहाँ कोरोना रोका साहब,
देते सबको धोखा साहब।
घूम रहे सब खुल्लमखुल्ला,
मार रहे हैं चौका साहब।।
पचास केस पर लॉकडाउन था,

बंद विलेज और हर टाउन था।
गली कूचे सुनसान पड़े थे,

शहर भी सब वीरान पड़े थे।
अब लाखों में नंबर आया।
तो सब कुछ है क्यों खुलवाया।
यही बात बस समझ न आए,

आखिर क्या है लोचा साहब।
कहाँ कोरोना रोका साहब
देते सबको धोखा साहब।
संक्रमण की बढ़ती दर है,

हवा में फैला हुआ जहर है।
इतने ज्यादा केस बढ़े हैं,

अस्पताल के हाथ खड़े हैं।
अब क्यों सब कुछ खोल रहे हो,

जीवन को सस्ता तोल रहे हो।
सोचो जरा ध्यान लगाकर,

संभलो अब भी मौका साहब।

कहाँ कोरोना रोका साहब
देते सबको धोखा साहब।

प्रदीप बहुगुणा दर्पण


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4 responses to “कहाँ कोरोना रोका साहब”

  1. Unknown Avatar

    Very beautiful गीत

  2. Manohar Chamoli Avatar

    वाह ! मज़ा आ गया।

  3. Sanjeet'smvet'.blogspot.in Avatar

    वाह सर बेहतरीन।।😊😊👌💐💐

  4. Unknown Avatar

    वाह sir बेहतरीन प्रस्तुति।

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