आज शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संपूर्ण प्रदेश से आए राज्य के उत्कृष्ट शिक्षकों के साथ बोधिसत्व शैक्षिक संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत सीधा संवाद किया इस अवसर पर शिक्षकों ने महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए , जिन पर कार्यवाही करने का आश्वासन मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया।
सभी जिलों से चयनित हुए थे उत्कृष्ट शिक्षक
मुख्यमंत्री के साथ संवाद कार्यक्रम हेतु उत्तराखंड के सभी 13 जनपदों के 105 शिक्षकों को चयनित किया गया था। शिक्षकों को उनके द्वारा किए गए शिक्षण, सामुदायिक सहभागिता एवं नवाचार के आधार पर चयनित किया गया था। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव ,अपर सचिव, शिक्षा महानिदेशक तथा सभी विभागीय आला अधिकारी उपस्थित थे।
शिक्षा मंत्री ने की महत्वपूर्ण घोषणाएं
कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्यालय शिक्षा सचिव रविनाथ रमन द्वारा मुख्य अतिथि पुष्कर सिंह धामी,विशिष्ट अतिथि शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत तथा सभी उपस्थित शिक्षक शिक्षिकाओं का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी।
अपने संबोधन में बोलते हुए उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि पूरे भारतवर्ष में नई शिक्षा नीति के तहत पूर्व प्राथमिक शिक्षा हेतु बाल वाटिका कार्यक्रम शुरू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।इस कार्यक्रम की सराहना भारत सरकार द्वारा भी की गई है।इसी प्रकार गुजरात राज्य की तर्ज पर विद्या समीक्षा केंद्र की स्थापना भी की जा रही है।जिससे उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को एक ही स्थान से ऑनलाइन मॉनिटर किया जा सकता है। प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों के संबंध में उन्होंने जानकारी दी कि शीघ्र ही विभागीय भर्ती परीक्षा के माध्यम से प्रधानाचार्य की 50% पदों पर सीधी भर्ती की जाएगी। उत्तराखंड राज्य की शिक्षा व्यवस्था को अग्रणी दिशा में ले जाने के लिए उन्होंने सभी शिक्षक, शिक्षिकाओं को बधाई भी दी ,साथ ही अन्य विभागीय योजनाओं की भी जानकारी दी।
शिक्षक के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी: मुख्यमंत्री
अपने संबोधन में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड संसाधन विहीन राज्य है। यहां बजट का विश्लेषण करने पर पता लगता है कि आय की तुलना में व्यय अत्यधिक हैं, ऐसी परिस्थितियों में राज्य के संसाधनों का समुचित उपयोग करना हम सभी का दायित्व है। आज समाज में शिक्षक भाग्य विधाता के रूप में देखा जाता है,इसलिए शिक्षकों का दायित्व सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उपस्थित शिक्षकों का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 वर्ष पूर्ण होने तक हम इसे पूर्ण साक्षर और नशा मुक्त राज्य के रूप में विकसित करेंगे।
उत्कृष्ट शिक्षकों को किया सम्मानित
इस अवसर पर शैक्षिक संवाद में आमंत्रित सभी उत्कृष्ट शिक्षकों को मुख्यमंत्री ने प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया। तथा शिक्षकों से महत्वपूर्ण सुझाव भी लिए कुछ सुझाव पर अमल की उन्होंने तत्काल घोषणा भी की, तथा अन्य सुझावों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में अर्चना गार्ग्य ,पंकज बिजलवाण, प्रदीप बहुगुणा, हर्ष मणि ,पांडे, अंबरीष चमोली,ख्याली दत्त शर्मा ,निर्मल न्योलिया, योगम्बर ध्यानी सरोज नौटियाल, सुमन चमोली, मनीषा कंडवाल रमेश प्रसाद बडोनी, कुंवर पपनै, सी एम जोशी सहित 105 शिक्षक थे।
दीनदयाल उपाध्याय शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कारों का भी हुआ वितरण
इस अवसर पर इस अवसर पर वर्ष 2022 की परिषदीय परीक्षा में सर्वोत्कृष्ट परीक्षा फल प्राप्त करने वाले प्रथम तीन विद्यालयों को भी मुख्यमंत्री ट्रॉफी द्वारा सम्मानित किया गया। इसी प्रकार परिषदीय परीक्षा में हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट स्तर पर मेरिट में सर्वोच्च तीन स्थानों तक आने वाले छात्र-छात्राओं को भी पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा डॉ मुकुल कुमार सती तथा सीमैट के प्रोफेशनल डॉ मोहन बिष्ट द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर महानिदेशक विद्यालय शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक आरके कुंवर, निदेशक प्रारंभिक वंदना गर्बयाल, निदेशक ए आर टी सीमा जौनसारी, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी , आशा पैन्यूली कंचन देवराडी, उप राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा आकाश सारस्वत, मदन मोहन जोशी, प्रशासनिक अधिकारी समग्र शिक्षा बीपी मैंदोली सहित शिक्षा विभाग के सभी आला अधिकारी मौजूद थे।