कवि अम्बरीष की कृति लोक आलोक बुद्ध का कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने किया विमोचन

टिहरी, 18 दिसंबर।

शिक्षक एवं कवि डा0 अम्बरीष चमोली की काव्यकृति लोक आलोक बुद्ध का उत्तराखंड  के भाषा वन एवं संसदीय कार्य मन्त्री सुबोध उनियाल द्वारा आज लोकार्पण किया गया।

cabinet minister subodh uniyal launched lok aalok buddha, book written by ambrish chamoli

आज दिनांक 18 दिसम्बर 2025 को  रा0इ0का नैचोली टिहरी गढ़वाल में आयोजित एक समारोह में उत्तराखंड प्रदेश के भाषा वन एवं संसदीय कार्य मन्त्री माननीय सुबोध उनिलाल द्वारा डा0 अम्बरीष चमोली की काव्यकृति ’लोक आलोक बुद्ध’ का लोकार्पण किया गया।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने डा० चमोली की रचनाधर्मिता की प्रसंशा करते हुए उन्हें एक उत्कृष्ट कोटि का कवि एवं साहित्यकार बताया। उन्होंने कहा शिक्षक और साहित्यकार के रूप में डा० अम्बरीष चमोली का व्यक्तित्व एवं कृतित्व समाज के लिए प्रेरणादायी है।
‘लोक आलोक बुद्ध’अपने नाम के अनुरूप लोक और आलोक अर्थात् समाज और प्रकाश दोनों का सार्थक एवं सशक्त स्वरूप प्रस्तुत करती है।

इस कृति के कृतिकार डॉ० अम्बरीष चमोली जी का जन्म 02 जुलाई 1973 को ग्राम पलाम, तहसील गजा टिहरी गढ़वाल में हुआ। आपने गढ़वाल विश्वविद्यालय से हिन्दी एवं संस्कृत विषय में एम०ए० की उपाधि प्रथम श्रेणी के साथ ही विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान के साथ प्राप्त की। इसके अतिरिक्त आपने अंग्रेजी, अर्थशास्त्र एवं शिक्षाशास्त्र में भी उच्च शिक्षा प्राप्त की है। आप बी०एड०, पी०एच०डी० तथा यू०जी०सी० नेट उत्तीर्ण हैं।
आपकी प्रमुख प्रकाशित कृतियों में ‘जय रघुनायक’ (प्रबंध काव्य),रूपाभा’ तथा ‘ऋतुजा’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। आपकी रचनाएँ अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं तथा आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं सामुदायिक रेडियो से प्रसारित भी हो चुकी हैं।
इसके साथ ही, उत्तराखण्ड के बहुभाषी शब्दकोश ‘झिक्कल काम्ची उडायली’ में गढ़वाली भाषा के लिए सहयोगी लेखक के रूप में भी आपका योगदान प्रशंसनीय है। वर्तमान में आप इंटर कॉलेज खंडकरी में अंग्रेजी के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं।


बुद्ध कौन थे ?उनका दर्शन क्या था? क्या उनका उद्देश्य हिंदू धर्म को समाप्त करना था या प्रचलित धर्म को मानव केंद्रित बनाकर उसमें सुधार करना था? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में मिलेंगे ।भगवान बुद्ध को हिंदू धर्म में विष्णु का 23 वां अवतार माना गया है जब हम पूजा पाठ में संकल्प करते हैं तो कहते हैं- बौद्ध अवतारे भारतवर्षे……अतः बौद्ध मत और हिंदू धर्म एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं शत्रु कदापि नहीं ‌।बुद्ध ने अपने चिंतन में मानव को केंद्र में रखा ।इस पुस्तक की भाषा संस्कृत निष्ठ हिंदी है, शैली प्रसंगानुकूल है छंदों में मुक्त छंद की प्रमुखता है। रस शांत करूण वीर शृंगार हैं। विभिन्न अलंकारों का सहज आकर्षण काव्य में देखने को मिलता है । साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है।साहित्यकार समाज का दिग्दर्शन करता है। स्वामी विवेकानंद गौतम बुद्ध से सबसे अधिक प्रभावित थे। उन्होंने कहा था कि जिस मानव मुक्ति और समता की बात हम आज करते हैं। आज से सदियों पहले गौतम बुद्ध ने ऐसी क्रांतिकारी विचारधारा को प्रस्तुत किया था। आज जब विश्व युद्ध की मुहाने पर खड़ा है तो बुद्ध अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। आज मानवता को युद्ध की नहीं बुद्ध की आवश्यकता है ।लोक चेतना और लोक कल्याण की भावना को सशक्त ढंग से व्यक्त करना महाकवियों की विशेषता रही है। हिंदी संस्कृत और अंग्रेजी के विद्वान डॉक्टर चमोली का छंदो पर असाधारण अधिकार है। उनकी रचनाओं में संस्कृत के प्रचलित छंदों के साथ ही मुक्त छंद का प्रयोग हुआ है ।उनका रचना फलक विशाल है साहित्यिक सांस्कृतिक शोध पत्रों के साथ ही निबंध कहानी कविता संस्मरण सहित अनेक विधाओं में उनकी लेखनी चली है। स्वतंत्र कविताओं के साथ ही प्रबंध काव्य की रचना उनके कवि कर्म कौशल का प्रमाण है।
उनके काव्य में भगवान राम और भगवान बुद्ध जैसे महान नायक हैं। जिनका जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा। जिन्होंने सर्वजन हिताय अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग किया‌ । प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार एवं पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ नंदकिशोर ढोंडियाल जी के शब्दों में-
‘‘कवि‘ अम्बरीष ‘नाम है एक ऐसे कवि का जिसमें प्रकृक्ति प्रदत्त कविता प्रतिभा है तो छन्दों को छलकाने की अपार क्षमता भी। इस अपार क्षमता का प्रयोग जब यह कवि अपने शब्द पुष्पों को कविता हार गूंथने में करता है तो सहृदय पाठक इसकी ग्रन्थन कला पर मनोमुग्ध हो जाता है। कवि अम्बरीष के पास जहाँ अपार मृदुल शब्द भण्डार है वहीं भावों का असीम वैभव भी। इन्हीं दोनों के मणि कांचन संयोग से जब वह कविता को जन्म देता है तो रसिक पाठक उसके रस सागर में आकण्ठ डूबने का आनन्द लेते हैं। कवि शब्दों का जादूगर है उसकी लेखनी में शब्द अपने आप उतर जाते हैं।‘‘

‘‘इस कवि की कविता में जहाँ प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्राननदन पन्त की कविता का लालित्य है वहाँ अप्सरालोक के अमर कवि चन्द्रकुंवर बर्खाल की भाव प्रधानता भी।‘‘

‘‘कवि बड़ा भावुक प्राणि होता है इस भावुकता में उसकी विद्वता दब जाती है, जो तों और अध्ययन की नीरस धरती पर जन्म लेती है लेकिन कवि अम्बरीष इसके अपवाद हैं। इनकी कविता जहाँ भावुकता की भूमि में जन्म लेती है वहीं इनका वैदुष्य उसको अपना खाद- पानी देकर और भी शस्य श्यामल बना देता है।‘‘

जय रघु नायक और लोक आलोक बुद्ध कवि की कालजयी रचनाएं हैं। इस अवसर पर उपस्थित विद्वानों जनप्रतिनिधियों एवं जन समुदाय ने डॉक्टर चमोली के साहित्यिक योगदान की सराहना की। एक आदर्श शिक्षक के साथ ही संवेदनशील साहित्यकार के रूप में उनकी अपनी विशिष्ट पहचान है। डॉ०अम्बरीष अपने कार्य स्थल के समीप ही निवास कर निर्धन विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं चलाते हैं। विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं एवं शिक्षा विभाग के द्वारा उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है ‌।कवि ने ‘‘लोक-आलोक बुद्ध‘‘ को अपनी स्वर्गीय माता सुशीला देवी एवं उत्तराखंड में हिंदी के शिखर कवि दिवंगत नागेंद्र ध्यानी जी को समर्पित किया है ।आज वाक स्वतंत्रता के नाम पर कोई भी कुछ भी बोल रहा है। सोशल मीडिया पर हमें क्या कुछ पढ़ने देखने सुनने को नहीं मिल रहा है। ऐसे में प्रमाणिक साहित्य आदर्श संस्कारों एवं शाश्वत ज्ञान परंपरा के संरक्षण की और अधिक आवश्यकता है।

यदि हम काव्य “ लोक -आलोक बुद्ध ” की साहित्यिक विशेषताओं की बात करें, तो यह महाकाव्य 14 सर्गों में निबद्ध प्रबंध काव्य है, जिसके नायक सिद्धार्थ गौतम हैं। इसमें बुद्ध के जन्म से निर्वाण तक की समस्त घटनाओं का वर्णन किया गया है। इस काव्य में प्रमुख रूप से वीर, शान्त एवं करुण रस का सशक्त और प्रभावशाली परिपाक देखने को मिलता है। कवि का चिंतन मानव-केंद्रित है। यह काव्य समाज के प्रति उत्तरदायित्व, मानवीय मूल्यों और लोकमंगल की भावना को सुंदर रूप में अभिव्यक्त करता है।

इस कृति की प्रस्तावना पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी जी तथा हिंदी के सशक्त कवि डॉ० नागेन्द्र ध्यानी जी द्वारा लिखी गई है, जो इस ग्रंथ की साहित्यिक गरिमा को और अधिक प्रतिष्ठित करती है।
कहा जाता है कि पुस्तक मनुष्य की सबसे सच्ची मित्र होती है। पुस्तक न केवल ज्ञान देती है, बल्कि सोच को दिशा देती है और जीवन को उद्देश्य प्रदान करती है। “लोक आलोक बुद्ध” भी ऐसी ही एक कृति है, जो पाठकों को साहित्यिक आनंद के साथ-साथ सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्यों की प्रेरणा प्रदान करेगी।

इस अवसर पर कोटेश्वर झील पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष सुन्दर रूडोला, नगर पंचायत अध्यक्ष गजा कुंवरसिंह चौहान, जिला पंचायत सदस्य ताजवीर सिंह खाती, चम्बा की पूर्व प्रमुख शिवानी बिष्ट, प्रधानाचार्य राजपाल खडवाल, संजीव चौधरी धनेश उनियाल विजयराम उनियाल पूर्वशिक्षक एवं पत्रकार डी० पी० उनियाल सहित विभिन्न जनप्रतिनिधिगण शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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