एल टी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति हेतु शिक्षकों के आंदोलन को मिला कर्मचारी अधिकारी महासंघ का समर्थन: दीपक जोशी ने कहा कि सरकार मांग को कर रही है दरकिनार कई अन्य शिक्षक नेता भी मौजूद रहे ।
एल टी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति हेतु शिक्षा निदेशालय पर विगत 24 जून से चल रहे अनिश्चितकालीन धरने पर पहुंचे
कर्मचारी अधिकारी महासंघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि चुनी गई लोकप्रिय सरकार जिस तरह विभिन्न कर्मचारी संगठनों की आवाज को दरकिनार कर रही है ये लोकतंत्र के लिए अच्छे लक्षण नहीं हैं । उन्होंने यह भी कहा कि कहीं न कहीं यह राजकीय शिक्षक संघ की कमजोरी भी है ,जिसके कारण शिक्षकों को इस प्रकार पदोन्नति की मांग को लेकर आंदोलन करना पड़ रहा है।
लंबे समय से पदोन्नति है लंबित :
ज्ञातव्य है कि पिछले दो वर्षों से एलटी शिक्षकों की पदोन्नति लंबित है, जिसके कारण कई शिक्षक एक ही पद पर 25- 30 वर्षों की सेवा के उपरांत भी सेवानिवृत्तहो चुके हैं। काफी लंबे समय से गोपनीय आख्या के नाम पर, कभी आयोग द्वारा लगाए गए आपत्तियों के नाम पर और कभी वरिष्ठता विवाद के बहाने से बहुप्रतीक्षित पदोन्नतियों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जिसके कारण पदोन्नति हेतु काफी समय से पात्र अध्यापक पदोन्नति के अधिकार से वंचित हैं ।
बताते चलें कि कई शिक्षक इस अवधि में बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
आश्वासन भी नहीं आए काम
विगत 4 जून को प्रदेशभर से आए विभिन्न शिक्षक निदेशालय पर धरने पर बैठे थे, जिनकी निदेशक माध्यमिक शिक्षा श्री राकेश कुँवर से वार्ता भी हुई थी। निदेशक ने शीघ्र ही समस्या के समाधान हेतु पदोन्नति की दिशा में सकारात्मक प्रयास का आश्वासन दिया था, किंतु इस दिशा में अभी तक कोई भी सक्रिय कार्यवाही नहीं हो पाई है , जिसके कारण विगत 2 वर्षों से पदोन्नति के लिए पात्र शिक्षकों का धैर्य जवाब देता जा रहा है ,जबकि विभाग में शिक्षकों से इतर कार्यालय कर्मचारियों और अधिकारियों की कई पदोन्नति सूचियां जारी हो चुकी है
धरने पर बैठे शिक्षक नेताओं ने बताया कि लंबे समय से उन्हें पदोन्नति के संदर्भ में कोरे आश्वासन ही मिल रहे हैं तथा सरकार वरिष्ठता विवाद गोपनीय आख्या तथा आयोग द्वारा लगाई गई आपत्तियों के बहाने से विगत 2 वर्षों से पदोन्नति को ठंडे बस्ते में डाले हुए बैठी है समस्या के समाधान की दृढ़ इच्छाशक्ति ना होने के कारण या फिर शिक्षकों की कोई परवाह न होने के कारण इस दिशा में कोई भी सकारात्मक प्रयास होता नजर नहीं आ रहा है जिसके कारण :ग्रीष्वमावकाश की अवधि में ना चाहते हुए भी शिक्षकों को मजबूरन धरने पर बैठना पड़ रहा है।
लंबे समय से पदोन्नति ना हो पाने के कारण शिक्षकों का मनोबल कैसे बना रह सकता है? शिक्षकों को उनके पदोन्नति के अधिकार से वंचित करना बिल्कुल गलत है । उम्मीद है कि शिक्षकों के साथ हो रही इस नाइंसाफी का संज्ञान लेकर शासन- प्रशासन द्वारा समाधान शीघ्र ही निकाला जाएगा । और शिक्षकों को पदोन्नति शीघ्र मिल सकेगी।