रा.इ.का खरोडा, चकराता, देहरादून में पर्यावरण दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों को जंगल में आग के दुष्प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग , जलवायु परिवर्तन , वन्य जीव संरक्षण, सूखा, बाढ़ आदि के बारे में जानकारी दी गई । इस अवसर पर चकराता वनप्रभाग के अंतर्गत कनासर रेंज के वन दरोगा नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि जंगल में आग लगने से पेड़ पौधों की विभिन्न प्रजातियां नष्ट होती हैं।इसके साथ ही वायु प्रदूषण से शरीर पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
वन बीट अधिकारी प्रीतम सिंह चौहान तथा बसिया दास ने कहा कि आज मनुष्य द्वारा की गई गतिविधियों से पृथ्वी का तापक्रम बढ़ रहा है जिससे सूखा और बाढ़ की स्थिति पैदा हो रही है । कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ उमेश चमोला ने कहा कि हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के लिए एक थीम तय की जाती है । इस वर्ष यह थीम भूमि बहाली तथा सूखा पर दी गई है ।
उन्होंने शहरीकरण के दुष्प्रभाव, सूखा, वनाग्नि तथा वह भू क्षरण पर आधारित दोहे प्रस्तुत किये। युद्धवीर सिंह चौहान ने कहा कि हमारे जीवन शैली का पर्यावरण पर सीधा प्रभाव पड़ता है । इसलिए हमारी जीवन शैली पर्यावरण के हित में होनी चाहिए ।इस अवसर पर बच्चों को निकटवर्ती जंगल का भ्रमण कराया गया । इसमें विभिन्न पेड़ पौधों की पहचान और उनकी विशेषताओं पर बच्चों से बातचीत की गई ।
स्थानीय क्षेत्र भ्रमण में सतपाल सिंह, सतवीर सिंह, कृपाराम जोशी, आरती शर्मा , इंदु कार्की , पमिता जोशी ,ममता वर्मा ,कविता रावत तथा वन विभाग के रवि दत्त दैनिक श्रमिक ने गाइड के रूप में कार्य किया।