चयन, प्रोन्नत वेतनमान पर वेतनवृद्धि पर रोक का विरोध। न्यायालय की शरण हेतु विवश हुए शिक्षक…

सप्तम वेतन आयोग के अनुसार उत्तराखंड के सभी कार्मिकों को मिलने वाली वेतन वृद्धि के मामले में शिक्षकों के चयन , प्रोन्नत वेतनमान पर मिलने वाली वेतन वृद्धि पर रोक लगाकर वसूली के आदेश निर्गत किए जा रहे हैं। इस विषय पर राजकीय शिक्षकों की एक आवश्यक बैठक आज राजकीय इंटर कॉलेज पटेल नगर देहरादून में आयोजित की गई।

Teachers meeting

बैठक की अध्यक्षता करते हुए राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व मण्डलीय मंत्री रमेश पैन्यूली ने बताया कि सातवें वेतनमान के शासनादेश के पैरा-3 के अनुसार स्पष्ट है कि चयन/प्रोन्नत वेतनमान पर वेतनवृद्धि देय है। सप्तम वेतनमान से सम्बंधित राजाज्ञा संख्या 290, राजाज्ञा संख्या -139 तथा समय-समय पर सूचना के अधिकार के तहत वित्त विभाग द्वारा दी गई सभी सूचनाओं के अनुसार शिक्षकों को भी यह वेतन वृद्धि समान रूप से देय हैं। किंतु दुर्भाग्य की बात है कि विभाग द्वारा शासनादेशों की मनमानी व्याख्या करते हुए शिक्षकों को मिलने वाली इस वेतन वृद्धि पर रोक लगाकर सम्बन्धित धनराशि की वसूली के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

रा०शि०संघ देहरादून जनपद देहरादून के जिला मंत्री नागेन्द्र पुरोहित ने रोष जताया कि शिक्षकों के प्रति दुर्भावना वश इस तरह की कार्यवाही निंदनीय है। प्राकृतिक न्याय की अवधारणा के विरुद्ध शिक्षकों के साथ हो रहे इस अन्याय के विरुद्ध न्यायालय की शरण में जाना ही अब एकमात्र विकल्प है।

बैठक का संचालन करते हुए प्रवक्ता विनोद पैन्यूली ने कहा कि इससे पूर्व भी हमेशा से कुछ विभागीय अधिकारियों द्वारा शिक्षक हितों के प्रति दुर्भावनापूर्ण रवैया अपनाया जाता रहा है। चाहे छठे वेतनमान में न्यूनतम एंट्री स्केल का विषय हो, पुरानी सेवाओं को जोड़ने की बात हो या वरिष्ठता संबंधी मामले हों, शासनादेशों की भी मनमानी व्याख्या कर शिक्षकों का उत्पीड़न किया जाता रहा है। जबकि सभी मामलों में बाद में इन्हें मुंह की खानी पड़ी है। चयन, प्रोन्नत वेतनमान प्रकरण में भी केवल शिक्षकों हेतु ही दुर्भावनावश विवाद उत्पन्न किया जा रहा है।

बैठक में उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी शिक्षकों के इस उत्पीड़न पर रोष व्यक्त किया तथा मांग की, कि जिन अधिकारियों द्वारा अनावश्यक व मनमाने ढंग से शासनादेशों की गलत व्याख्या कर विभाग को गुमराह किया जाता रहा है, उनके
विरुद्ध भी शासन को संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि इन्हीं के चलते न्यायालय में शिक्षा विभाग के प्रकरणों की भरमार लगी है। जिससे विभागीय धन तथा श्रम की अनावश्यक हानि होती है।

बैठक में भुवनेश्वर पंत, विनोद पैन्यूली, ताजवर नेगी, प्रदीप बहुगुणा, जयप्रकाश खंडूरी, साकेत बड़थ्वाल, विपिन नैथानी, राजेश बडोला, पंकज बिजल्वाण,विपुल मिश्र, धर्मेंद्र सिंह पंवार,ओमप्रकाश मलेठा,प्रमोद कपूरवाण,राजेश बडोला, जगदीश पनियाल,शैलेंद्र बहुगुणा,कृष्ण वल्लभ नवानी, रमेश सिंह चौहान,सुरेश सिंह रावत आदि अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।

2 thoughts on “चयन, प्रोन्नत वेतनमान पर वेतनवृद्धि पर रोक का विरोध। न्यायालय की शरण हेतु विवश हुए शिक्षक…”

  1. चयन एवं प्रोन्नत वेतन मान पर केवल शिक्षकों की वेतनवृद्धि पर रोक सर्वथा अनुचित एवं निंदनीय है। इसे शीघ्र बहाल किया जाना चाहिए।

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  2. चयन वेतमान में वेतन वृद्धि शिक्षकों का अधिकार है और निसंदेह ये मिलना चाहिए

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