(Halo effect in Hindi, ring around sun, sun Halo, rainbow)
आज सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सूर्य के चारों और बादलों के बीच बने एक छल्ले की तस्वीर शेयर की है। सूरज के चारों और वृत्ताकार वलय के रूप में बना यह इंद्रधनुष की तरह का छल्ला लोगों के लिए जिज्ञासा और आकर्षण का केंद्र बना रहा। आइए जानते हैं क्या है, इस छल्ले का रहस्य ?क्यों बनता है सूर्य के चारों ओर इस तरह का रंगीन छल्ला? क्या यह इंद्रधनुष का कोई रूप है या यह कुछ और है ? इस पोस्ट में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं ।
सोशल मीडिया पर आज सुबह से ही चित्र में दिखाए गए वृत्ताकार वलय की चर्चा चल रही है। सूर्य के चारों ओर बने हुए ऐसे वृत्ताकार वलय को sun Halo कहते हैं। इसे हिंदी में प्रभामंडल के नाम से जाना जाता है। यह दुर्लभ नजारा विशेषकर बरसात के दिनों में ही दिखाई देता है। वैसे तो हम इंद्रधनुष को बारिश होने के बाद अक्सर देखते हैं, लेकिन यह पूरे वृत्त के रूप में कभी दिखाई नहीं देता। जबकि आज देखा गया इंद्रधनुष की तरह का यह छल्ला पूर्ण वृत्ताकार है जो सूर्य के चारों ओर वलय के रूप में दिखता है।
What is sun halo, सन हैलो क्या है
सन हेलो या सूर्य प्रभा मंडल अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित साइरस या सिरोस्ट्रेटस बादलों के कारण बनता है यह बादल अत्यंत महीन छोटे-छोटे क्रिस्टलो के रूप में बर्फ के कणों से बने होते हैं। अधिकांश क्रिस्टल षटफलकीय आकृति के होते हैं। जिनमें 22 अंश का मुड़ाव होता है। जब प्रकाश इनके भीतर से गुजरता है तो प्रकाश का आंशिक रूप से परावर्तन होता है,तथा अधिक मात्रा में प्रकाश का अपवर्तन और वर्ण विक्षेपण होता है । हम जानते हैं कि सूर्य का प्रकाश जिसे श्वेत प्रकाश कहा जाता है, यह सात रंगों से मिलकर बना होता है, जिनमें बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल रंग शामिल हैं। वर्ण विक्षेपण की घटना में प्रकाश अपने अलग-अलग अवयवों में बंट जाता है ,अर्थात इसके सात रंग अलग-अलग हो जाते हैं। इंद्रधनुष के दिखने के पीछे भी यही कारण है। किंतु सन हैलो घटना में अपवर्तक क्रिस्टल की विशेष आकृति के कारण वर्ण विक्षेपण के पश्चात हमें रंगीन वृत्ताकार वलय दिखाई देता है। सूर्य के चारों ओर बनने वाले इसी वलय को प्रभामंडल या सन हैलो कहते हैं।
Sun Halo के अन्य प्रकार
सन डॉग्स और पैरहेलियन सन हैलो के अन्य प्रकार हैं जो थोड़ा बहुत भिन्न आकृति के रूप में दिखाई देते हैं। 9 अंश का लघुतर हैलो , सूर्य स्तंभ या sun pillar, कई संकेंद्रीय वलयों से बने हैलो ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं, जिनके बारे में हम आगामी आलेखों में चर्चा करेंगें।
(आशा है इस नवीनतम घटना पर यह आलेख आपको पसंद आया होगा। कृपया जनजागरूकता की दृष्टि से इसे विभिन्न पाठकों के बीच प्रसारित/शेयर अवश्य करें।)
लेखक परिचय:
प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’
देहरादून, उत्तराखंड
शिक्षा: एम.एस. सी.(भौतिकी),एम.ए.(हिंदी, शिक्षाशास्त्र), बी.एड.
सम्प्रति: प्रवक्ता(भौतिकी), माध्यमिक शिक्षा विभाग उत्तराखंड
लेखन: ‘आवाज’ व ‘दो कदम’ साझा काव्य संग्रह, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख, व्यंग्य व कविताएं,
21वीं सदी के श्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय व्यंग्यकारों में शामिल,
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा विभाग की पाठ्य पुस्तकों व शिक्षक प्रशिक्षण साहित्य का लेखन व सम्पादन, रूम टू रीड संस्था हेतु बाल कहानी लेखन
सम्पादन: बुनियाद तथा अंकुर पत्रिकाओं का सम्पादन, शैक्षिक दखल पत्रिका में सम्पादन सहयोग।
प्रसारण: आकाशवाणी और दूरदर्शन से कहानियों, कविताओं तथा शैक्षिक व्याख्यानों का प्रसारण
Thanks 🙏
Bht acha explain kiya hai. Wow!