अपनी विरासत और महान विभूतियों को जानेंगे बच्चे, मुख्यमंत्री ने किया इन पुस्तकों का विमोचन

उत्तराखंड सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘ हमारी विरासत और विभूतियां’ नामक तीन पुस्तकों का विमोचन किया। ये पुस्तकें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के अनुपालन में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा तैयार करवाई गई हैं, इन्हें आगामी शैक्षिक सत्र से राजकीय विद्यालयों में कक्षा 6 7 और 8 के पाठ्यक्रम में सहायक पुस्तकों के रूप में पढ़ाया जाएगा।

Students ti read about our heritage and great persons
फाइल फोटो

पुस्तकों का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और भौगोलिक विरासत अत्यंत समृद्ध है। देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध इस प्रदेश में अनेक महानायकों ने जन्म लिया है। एक लंबे आंदोलन के बाद उत्तराखंड राज्य की प्राप्ति हुई है। इन सब के बारे में भावी पीढ़ी को अवगत कराना हम सब का दायित्व है इसी क्रम में ये पुस्तकें बच्चों को हमारी विरासत, महान विभूतियों, जनांदोलनों, लोक परंपराओं आदि के बारे में जानकारी देंगी।

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने बताया कि एससीईआरटी की ओर से कक्षा छह से आठ तक के छात्र- छात्राओं के लिए “हमारी विरासत एवं विभूतियां” पुस्तकें कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए माननीय मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुपालन में  प्रकाशित की गई हैं।

पुस्तकों में उत्तराखण्ड राज्य की लोक कथायें, स्थानीय संस्कृति, मेला, व्यंजन, वेश-भूषा एवं उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का इतिहास, उत्तराखण्ड के नायकों, महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों, समाज सुधारकों आदि की जीवनगाथा, वीरांगना नारियों की वीरगाथा, कारगिल के शहीद, उत्तराखण्डी फिल्मों का सफर, उत्तराखण्ड के धार्मिक एवं पर्यटन स्थल तथा उत्तराखण्ड में राम के धाम आदि विषयों को संकलित कर इन पुस्तकों को विकसित किया गया है।

पुस्तकों को बाल-मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए सभी संकलित पाठों की कथावस्तु को रंगीन चित्रों के माध्यम से भी प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। पुस्तकों के आवरण पृष्ठ को उत्तराखण्ड की भौगोलिक विरासत से जोड़ते हुए कक्षा-6 के आवरण पृष्ठ में पंचाचुली, कक्षा-7 में नंदा एवं त्रिशूल, एवं कक्षा-8 में चौखम्भा चोटियों को दर्शाया गया है एवं उत्तराखण्ड की आध्यात्मिकता के प्रतीक ओम पर्वत को पुस्तक के पृष्ठ आवरण पर अंकित किया गया है। पुस्तकों को उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हुए प्रत्येक पृष्ठ के निचले भाग पर उत्तराखण्ड की संस्कृति के प्रतीक ऐपण को चित्राकिंत किया गया है। विद्यार्थियों को वृक्षों एवंपर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए प्रत्येक पाठ के अन्त में तीन वृक्षों को भी चित्रित किया गया है। ये पुस्तकें प्रतियोगी परीक्षाओं और शोधार्थियों के लिए भी लाभप्रद सिद्ध होंगी।

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