मतदान कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार पर विशेष: क्या है खाली पेटियों का रहस्य, भीडतंत्र के आगे लोकतंत्र लाचार

जनपद देहरादून में सभी नगर निकायों में कल मतदान वैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत विधिवत और शांतिपूर्ण संपन्न हुआ।मतदान प्रक्रिया में योगदान करने वाले सभी राजकीय कार्मिक बधाई के पात्र है , किन्तु देहरादून और ऋषिकेश के कुछ स्थानों पर मतदान संपन्न करने के पश्चात वापस लौटी पोलिंग पार्टियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाना अत्यंत निंदनीय है। इसे हार की बौखलाहट कहें या चोर की दाढ़ी में तिनका ! कुछ उम्मीदवारों के समर्थकों ने कर्मियों पर खाली मतपेटी लेकर लौटने का आरोप लगाते हुए उनके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया। सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें और वीडियो बड़ी मात्रा में प्रसारित हो रहे हैं। कुछ स्वयंभू पत्रकारों द्वारा भी मसालेदार (अथवा प्रायोजित) खबरें बनाकर प्रसारित की जा रही हैं, जिसके कारण सिस्टम की बदनामी तो हो ही रही है बल्कि पूर्ण निष्ठा और मनोयोग से कार्य संपन्न कराने वाले मतदान कर्मियों का भी मनोबल टूट रहा है।

क्या है खाली मतपेटियों का रहस्य

प्रशासन द्वारा लोकतंत्र के पर्व के रूप में विख्यात चुनाव  को पारदर्शी और शुचितापूर्ण सम्पन्न कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है। इसके लिए मतदान कर्मियों का कई चरणों का विशेष प्रशिक्षण भी सम्पन्न कराया जाता है।
मतदान प्रक्रिया में कोई व्यवधान न हो इसी क्रम में प्रत्येक पोलिंग पार्टी को एक मतपेटी अतिरिक्त दी जाती है, जो पहली मतपेटी  के भर जाने अथवा किसी स्थिति में खराब हो जाने की दशा में प्रयोग की जा सके। इसलिए प्रत्येक पार्टी वापस लौटते समय एक मतों से भरी पेटी तथा एक खाली मतपेटी लेकर लौटी है। मतों से भरी पेटी को बूथ पर ही मतदान समाप्ति के पश्चात मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में विधिवत सील किया जाता है, जिसके बदले जाने या दुरुपयोग होने की कोई भी संभावना नहीं है।

कार्मिकों का मनोबल बनाए रखना है तो…

Shameful behaviour with polling parties, reality of empty ballot boxes

बिना जानकारी के ऐसी खबरें लिखना,इन्हें शेयर करना,मतदान कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करना और सिस्टम को बदनाम करना बिल्कुल गलत है। प्रशासन को ऐसे लोगों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही अवश्य करनी चाहिए,जिससे विषम परिस्थितियों में दिन-रात एक करके लोकतंत्र के इस महायज्ञ में योगदान देने वाले कार्मिकों के साथ साथ मतदाताओं और अन्य लोगों का भी मनोबल बना रह सके।
कृपया लोकतंत्र को भीडतंत्र के आगे लाचार न बनाएं, इसी अपील के साथ आपका   साथी…

प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’

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