प्रौढ़ शिक्षा के लिए एससीईआरटी उत्तराखंड ने की तैयारी, उल्लास कार्यक्रम से शुरू होगी साक्षरता की राह

पंद्रह वर्ष से अधिक आयु के ऐसे लोग जो किसी कारण से शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए हैं उन्हें साक्षर बनाने के लिए उल्लास कार्यक्रम चलाया जाएगा इस कार्यक्रम के तहत एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा पांच दिवसीय राज्य स्तरीय क्षमता संवर्धन कार्यशाला का आज शुभारंभ किया गया।

Scert uttarakhand organising state level capacity building workshop for ullas programme

उल्लास कार्यक्रम के अन्तर्गत एससीईआरटी, उत्तराखण्ड के तत्वावधान में पांच दिवसीय राज्य स्तरीय क्षमता सम्वर्द्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला आज से शुरू हो गई है।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखण्ड बंदना गर्ब्याल ने कहा कि उल्लास कार्यक्रम नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है अडरस्टैन्डिंग लाईफ लॉन्ग लर्निग फाॅर आल इन सोसायटी। यह कार्यक्रम 15 वर्ष से अधिक आयु के उन लोगों के लिए है, जो किन्ही कारणों से साक्षरता प्राप्त नहीं कर पाये हैं। इसके लिए एससीईआरटी उत्तराखण्ड द्वारा एनसीईआरटी, नई दिल्ली के सहयोग से 04 प्रवेशिकाएं तैयार की गई हैं। इसी क्रम में इन प्रवेशिकाओं के संक्षिप्त संस्करण उल्लास को भी विकसित किया गया है।

कुमाऊं विश्व विद्यालय, अल्मोड़ा के पूर्व संकाय अध्यक्ष, शिक्षा संकाय प्रो0 जी0एस0 नयाल ने कहा कि असाक्षरों से सम्बन्धित सामग्री उनकी दैनिक जीवन की आवश्यकताओं पर आधारित होनी चाहिए।

संयुक्त निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखण्ड आशा पैन्यूली ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य असाक्षरों को जीवन कौशल में दक्ष बनाने के साथ ही व्यवसायिक रूप से समृद्ध करना भी है। असाक्षरों को पढ़ाने वाले स्वंयसेवी शिक्षकों को प्रौढ़ मनोविज्ञान की जानकारी का होना आवश्यक है। उनके शिक्षण में असाक्षरों के जीवन के अनुभवों को सम्मिलित किया जाना चाहिए।

उल्लास कार्यक्रम के राज्य समन्वयक डाॅ. हरेन्द्र सिंह अधिकारी ने पावर प्वाइन्ट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अवगत कराया कि राष्ट्रीय स्तर पर इस कार्यक्रम के संचालन के लिए एनसीएल (नेशनल सैन्टर फाॅर लिट्रेसी) राज्य स्तर पर एससीएल (स्टेट सैन्टर फाॅर लिट्रेसी) तथा जनपद स्तर पर डीसीएल (डिस्ट्रिक सैन्टर फाॅर लिट्रेसी) का गठन किया गया है। एससीएल-एससीईआरटी उत्तराखण्ड द्वारा एन0सी0ई0आर0टी0 के द्वारा बनाये गई प्रवेशिकाओं एवं उल्लास का उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में अंगीकरण किया गया है साथ ही इन प्रवेशिकाओं में दी गई विषयवस्तु पर संवेदीकरण के लिए मार्गदर्शिकाएं भी तैयार की गई हैं। इसके अलावा साक्षरता के प्रति जागरूकता के विकास के लिए नारे और जिंगल भी तैयार किये जा रहे हैं।

पांच दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभागियों का नव साक्षरता कार्यक्रम के विविध पक्षों पर क्षमता अभिवर्धन किया जायेगा तथा साक्षरता से सम्बन्धित पठ्न सामग्री का विकास भी किया जा रहा है।

कार्यशाला में संदर्भदाता के रूप में डाॅ0 उमेश चमोला, नरेन्द्र सिंह बिष्ट तथा गोपाल सिंह गैड़ा, कार्यशाला का संचालन कर रहे हैं। उद्घाटन सत्र का संचालन नरेन्द्र सिंह बिष्ट द्वारा किया गया।

इस अवसर पर एससीईआरटी से डाॅ. रमेश पन्त, दिनेश चौहान, अखिलेश डोभाल, अरूण थपलियाल तथा नीलम पंवार भी मौजूद थे। साक्षरता कार्यक्रम तथा सामग्री विकास में कृपाल सिंह शीला, लक्ष्मी नैथानी, उर्मिला डिमरी, रेखा बोरा, कौशल कुमार, डाॅ0 अरूण कुमार तलनिया, शिवराज सिंह तड़ागी, उपेन्द्र कुमार भट्ट, संजय भट्ट, कुन्दन सिंह भण्डारी, दिव्या नौटियाल, माधुरी दीक्षित, सोनिया, चन्द्रशेखर नौटियाल, विनीत भट्ट, हरीश नौटियाल, अरविन्द सिंह सोलंकी, अनवर अहमद, पल्लवी पुरोहित, प्रेरणा बहुगुणा, डाॅ0 संजीव डोभाल तथा नरेन्द्र सिंह नेगी के द्वारा योगदान दिया जा रहा है।

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