शिक्षक तबादला नीति को कार्मिक विभाग की मंजूरी, जानिए क्या होंगे प्रावधान

उत्तराखंड में शिक्षा विभाग सबसे बड़ा सरकारी विभाग है। इस विभाग में शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया का क्रियान्वयन करना अत्यंत कठिन साबित हुआ है। यहां तक कि राज्य में कार्मिकों के लिए बने स्थानांतरण एक्ट से भी शिक्षकों के तबादलों की समस्या का निराकरण नहीं हो सका। सूत्रों के अनुसार अब शिक्षक तबादलों के लिए मनाई गई नई स्थानांतरण नीति को कार्मिक विभाग ने हरी झंडी दिखा दी है।

New teachers transfer policy implementation

उत्तराखंड में शिक्षकों के तबादलों के लिए सरकार द्वारा बनाई गई नई स्थानांतरण नीति पर पिछले डेढ़ वर्ष से चर्चा चल रही है बताया जा रहा है कि हरियाणा राज्य की तर्ज पर बनाई गई शिक्षक स्थानांतरण नीति को समीक्षा के लिए कार्मिक विभाग को भेजा गया था। इसके बाद कार्मिक विभाग ने इसमे संशोधन हेतु कुछ सुझाव दिए थे। सूत्रों के अनुसार नई स्थानांतरण नीति को कार्मिक विभाग द्वारा मंजूरी दे दी गई है । कार्मिक विभाग से मंजूरी मिलने के पश्चात अब इस नीति को कैबिनेट में रखा जाएगा ताकि इसे अमलीजामा पहनाया जा सके।

तीन मुख्य जोन तथा आठ सब जोन में बांटा गया है राज्य को

नई शिक्षक स्थानांतरण नीति में उत्तराखंड राज्य को संपूर्ण कार्य क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर एवं सुविधाओं के आधार पर तीन मुख्य जोन में बांटा गया है। प्रथम जोन उच्च पर्वतीय क्षेत्र , एच एच श्रेणी में उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर तथा चमोली जनपदों को रखा गया है। द्वितीय जोन में निम्न पर्वतीय जनपद टिहरी,रुद्रप्रयाग तथा अल्मोड़ा एल एच श्रेणी में शामिल किए गए हैं। हरिद्वार तथा उधम सिंह नगर जैसे मैदानी जनपदों को पूर्ण रूप से पी श्रेणी यानी मैदानी क्षेत्र में शामिल किया गया है। इनके अतिरिक्त अन्य जनपद संयुक्त रूप से निम्न पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्र में सम्मिलित हैं। इन तीन जोन को आठ सब जोनो में बांटा गया है। इस प्रकार राज्य में कुल मिलाकर पांच पर्वतीय तथा तीन मैदानी सब जोन बनाए गए हैं।

पर्वतीय और मैदानी जोनों के लिए न्यूनतम सेवा अवधि का निर्धारण

नई शिक्षक स्थानांतरण नीति के अनुसार एक शिक्षक की औसत सेवा अवधि को 35 वर्ष मानते हुए उसकी सेवा को दो भागों में बांटा गया है। जिसमें से 23 वर्ष की सेवा अनिवार्य रूप से पांच पर्वतीय जोनों में करनी होगी।इसके अतिरिक्त शेष 12 वर्ष की सेवा मैदानी क्षेत्र में करने का अवसर मिलेगा।

प्रत्येक वर्ष जनवरी से शुरू होगी स्थानांतरण प्रक्रिया

प्रत्येक वर्ष 31 मार्च की तिथि को सेवानिवृत्त होने वाले अथवा सेवा स्थानांतरण एवं प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले शिक्षकों की संख्या को शामिल करते हुए सभी संभावित रिक्तियों के सापेक्ष स्थानांतरण प्रक्रिया प्रत्येक वर्ष की जनवरी माह में आरंभ कर दी जाएगी। स्थानांतरण प्रक्रिया जनवरी से आरंभ होकर 30 अप्रैल तक चलेगी।

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