डायट देहरादून के सभागार में आयोजित दो दिवसीय कौशलम् कार्यक्रम का आज 24 मई को समापन हो गया। समापन सत्र में डायट प्राचार्य राकेश जुगराण ने कहा कि शिक्षा समय के अनुसार बदलती है। आज सूचना क्रांति के दौर में शिक्षा में आए बदलाव के लिए हमें स्वयं को तैयार करना होगा। इस बदलते समय में व्यावसायिक शिक्षा के नए नए क्षेत्र सामने आ रहे हैं। इसलिए शिक्षक और विद्यालय शुरू से ही बच्चे की व्यावसायिक रुचियों की पहचान करे। इसी संदर्भ में कौशलम् कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
कौशलम् कार्यक्रम की डायट समन्वयक ऋचा जुयाल ने कहा कि कौशलम् पाठ्यचर्या को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं के लिए वर्कबुक और संदर्शिका तैयार की गई है। इसके लिए एक सप्ताह में दो वादन हर कक्षा के लिए रखे गए हैं।
डायट संकाय सदस्य ऋतु कुकरेती ने कहा कि कौशलम् कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर ले जाने के लिए प्रधानाचार्य, शिक्षक और समुदाय सभी को मिलकर कार्य करना होगा।
डायट संकाय सदस्य ऋतु कुकरेती ने कहा कि कौशलम् कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर ले जाने के लिए प्रधानाचार्य, शिक्षक और समुदाय सभी को मिलकर कार्य करना होगा।
राज्य संदर्भदाता के रूप में डॉ. उमेश चमोला ने बताया कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनरों द्वारा विकासखंड स्तर पर शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण से पहले, प्रशिक्षण के दौरान और प्रशिक्षण के बाद की तैयारियां पहले से ही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण एक योजनाबद्ध कार्यक्रम है जो प्रशिक्षण लेने वालों के दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन लाता है, उनके ज्ञान को बढ़ाता है और कौशलों का विकास करता है।
विजयलक्ष्मी सेमल्टी ने कहा कि कौशलम् कार्यक्रम की पाठ्यचर्या सै़द्धांतिक ज्ञान पर ही आधरित न होकर रोचक गतिविधियों पर केन्द्रित है। इसमें हर गतिविधि के लिए समय निर्धारित किया गया है।
स्वाति जैन ने कहा कि कौशलम् कार्यक्रम में दी गई सफल व्यक्तियों की कहानियां बच्चों में उद्यम के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने में सफल सिद्ध होंगी। उद्यम फाउंडेशन के विशेषज्ञ दिनेश सिंह और कुंदन विश्वकर्मा ने कौशलम् कार्यक्रम में सूचना संप्रेषण तकनीकी के उपयोग पर शिक्षकों से बातचीत की।