जनजातीय पखवाड़ा : हारूल नृत्य सहित अनेक कार्यक्रम आयोजित

देहरादून जनपद के चकराता विकासखंड के दूरस्थ विद्यालय राजकीय इंटर कॉलेज खरोडा मैं 15 नवंबर से 26 नवंबर तक जनजातीय गौरव पखवाड़ा मनाया गया। पखवाड़े के अंतिम दिन  पखवाड़े के दौरान की गई गतिविधियों से बच्चों ने क्या -क्या सीखा? इस पर बातचीत की गई। बच्चों के द्वारा जनजातीय गौरव से सम्बंधित प्रोजक्ट प्रस्तुत किए गए तथा चार्ट के माध्यम से जौनसार क्षेत्र के स्थानीय खाद्य पदार्थ, पोशाक, गहने आदि को प्रस्तुत किया गया। पखवाड़े के पहले दिन यू ट्यूब के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का प्रसारण करते हुए बच्चों से इस पर चर्चा की गई।

Janjatiya pakhavada celebreted at gic kharoda

प्रधानाचार्य गोविन्द सिंह रौथाण ने कहा कि जनजातीय गौरव पखवाड़ा मनाने के पीछे यह उद्देश्य भी है हमारे मन में जनजातीय संस्कृति के प्रति गौरव की भावना का विकास हो सके। हमें जनजातीय संस्कृति के बारे में नई पीढ़ी को भी अवगत कराना चाहिए।

डॉ. उमेश चमोला ने कहा कि यह पखवाड़ा प्रसिद्ध क्रन्तिकारी बिरसा मुंडा के जन्मदिन से शुरू किया गया है। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आदिवासी समुदाय को एकजुट किया था। उनसे घबराकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें धीमा जहर खिलाते हुए जेल में रखा, जहां उनकी मृत्यु हो गई। उनका जन्म 1875 में हुआ था और मृत्यु 1900 में हुई थी। उनके अल्पकाल का जीवन समाज के लिए समर्पित रहा। उनके कार्यों को सम्मान देते हुए भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय से प्राप्त निर्देशों के क्रम में यह पखवाड़ा मनाया जा रहा है।

युद्धवीर चौहान ने कहा कि जौनसार जनजाति की संस्कृति गहरी है। यहाँ की माटी ने विश्वप्रसिद्ध समाजसेवी, लेखकों और कलाकारों को जन्म दिया है। हमें अपने खेत, जंगल और लोक विरासत के प्रति प्रेम होना चाहिए।

सचिन ढोडी ने कहा कि वर्तमान तकनीकी के समय में लोक संस्कृति के संरक्षण पर बल दिए जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए सतपाल सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी जनजातीय रीतिरिवाज और सार्थक परम्पराओं को महत्व देने की बात की गई है।  एस. एम. सी के अध्यक्ष तिलक राम डिमरी ने ऐसे कार्यक्रमों के समय -समय पर आयोजन की आवश्यकता व्यक्त की। 

इस अवसर पर सतबीर चौहान, पमिता जोशी, मनीष, राधा डोभाल और प्रेम राणा ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रोहन, कुसुम, रितेश, अरुना, आयुषी और संदीप द्वारा गुजरी ऐ और पौराणिक हारुल गीत पर किया गया नृत्य रहा।

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