भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ ‘ संकल्प का मुख्य उद्देश्य बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित कर उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। यदि बालिकाओं को शिक्षा और उचित प्रशिक्षण के अवसर मिलें,तो वे उत्कृष्ट कार्य कर समाज और देश की सेवा कर सकती हैं। इसी क्रम में कल्पवृक्ष सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसायटी देहरादून द्वारा राजकीय विद्यालयों की बालिकाओं के लिए दस दिवसीय इग्नाईट बूट कैंप का आयोजन किया गया।
कल्पवृक्ष सोसायटी परम्परागत कार्यों से अलग हटकर वंचित बालिकाओं को अत्याधुनिक सोच के साथ सूचना प्रौद्योगिकी में कोडिंग की शिक्षा देने वाली उत्तराखण्ड की पहली संस्था है।यह बात हिमालयन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज की प्रोफेसर डॉ अपूर्वा त्रिवेदी ने आज कल्पवृक्ष सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसाइटी के द्वारा राजकीय विद्यालयों की बालिकाओं के लिए लगाए गए इस निशुल्क दस दिवसीय स्पीड बूट कैंप – इग्नाईट के दीक्षांत समारोह में कही।
उन्होंने कहा कि यदि बालिकाएँ कोडिंग को सीखकर नई प्रोद्योगिकी का निर्माण करती है तो वे ग्रामीण समाज पर बड़ा प्रभाव छोड़ेंगी ।
और अपने अड़ोस पड़ोस की बालिकाओं तथा पूरे समाज के लिए सामाजिक परिवर्तन का कारक बनेंगी।
संस्था के उपाध्यक्ष अभिनव नेगी ने बताया कि इस बूट कैंप के माध्यम से समाज की यह धारणा गलत साबित हुई है कि लडकियां प्रौद्योगिकी को कम समझ पाती है, उनकी सीखने, आत्मसात करने की क्षमता लड़कों से अधिक है। उन्होंने कहा कि इग्नाईट बूट कैंप के द्वारा बालिकाओं को सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बंधित विभिन्न कार्यों से अवगत कराया गया। बूट कैंप में शामिल बालिकाओं को ग्राफ़िक डिज़ाइनर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, वेब डेवलपिंग आदि आधुनिक तकनीकों से परिचित कराया गया।
संस्था के सचिव प्रदीप नेगी ने कहा कि टीम कल्पवृक्ष ने अभावग्रस्त बालक-बालिकाओं के लिए सूचना प्रौद्योगिकी व अंग्रेजी शिक्षा का एक अत्याधुनिक व अनुपम कोर्स डिज़ाइन किया गया है,जिसका लाभ कई छात्र छात्राएं उठा रहे हैं।
आईटी क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कम्पनी डेलॉइट के सीनियर एनालिस्ट इन साइबर डिफेन्स राजीव ने बालिकाओं की सूचना प्रौद्योगिकी को सीखने की क्षमता को सराहा व उन्हें विभिन्न प्रकार के अत्याधुनिक तकनीकी की जानकारी दी, साथ ही रोजगार के अवसरों से अवगत कराया।
अंत में इंजीनियर राजीव ने इग्नाईट बूट कैंप को सफल बनाने के लिए डॉ कनिष्क शर्मा न्यूरो साइंटिस्ट, श्रीमती मनीषा सत्यार्थी, श्रीमती प्रकृति, देवांश श्रीवास्तव, पल्लवी बिष्ट, महावीर सिंह, प्रीती मैखुरी व मनोज झिंक्वाण का विशेष आभार व्यक्त किया।