देहरादून के चकराता विकासखंड के दूरस्थ विद्यालय राजकीय इंटर कॉलेज खरोडा में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया । इस अवसर पर प्रधानाचार्य गोविंद सिंह रौथाण ने अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम के अंतर्गत बताया कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉक्टर ए साराभाई थे । उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए 15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना की गई थी । भारत में पहली बार रॉकेट 20 नवंबर 1967 को बनाया गया था। इसका नाम R H75 रखा गया था ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर उमेश चमोला ने कहा कि प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की थीम चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना : भारत की अंतरिक्ष गाथा रखी गई है। उन्होंने मौसम की भविष्यवाणी के संदर्भ में उपग्रहों के योगदान पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है उसी प्रकार बृहस्पति के भी लगभग 80 चंद्रमा खोजे गए हैं।
युद्धवीर सिंह ने अंतरिक्ष मिशन में भारत के वैज्ञानिकों के योगदान को याद करते हुए कहा कि भारत ने अंतरिक्ष खोज में आज विश्व स्तर पर अपना स्थान बनाया है । यह अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लगातार प्रयासों से ही सम्भव हुआ है । इसलिए हमें अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर इन वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना करनी चाहिए।
आरती शर्मा ने अंतरिक्ष वैज्ञानिक राकेश शर्मा सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला के अंतरिक्ष मिशन में योगदान के बारे में बच्चों को अवगत कराया । कार्यक्रम में कक्षा 10 की छात्रा साक्षी और कक्षा 12 की छात्रा इशिता ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के बारे में अपने विचार व्यक्त किए । रोहित कक्षा 12 , नीलम और निहारिका कक्षा 9 और कक्षा 7 के विद्यार्थी दिशू,प्रितिका , आदित्य , सपना और निशा ने भी पोस्टर के माध्यम से चंद्रयान 3 से संबंधित जानकारी दी।
इस अवसर पर सतपाल चौहान ,मनीष कुमार इंदु कार्की , ममता वर्मा और कविता रावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत मे प्रतिभागी छात्र छात्राओं को पारितोषिक प्रदान किये गए।