बधाई: डॉ. चमोला को मिला हिमवंत साहित्य सम्मान

प्रख्यात साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ. उमेश चमोला को इस वर्ष के  हिमवंत साहित्य सम्मान से नवाजा गया है।

Dr umesh chamola felicitated with himwant award

कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मेला और उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी अवतार सिंह राणा स्मृति कार्यक्रम अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. उमेश चमोला को  हिमवंत साहित्य सम्मान और राज्य आंदोलनकारी विजय सिंह राणा को अवतार सिंह राणा स्मृति सम्मान केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल के कर कमलों द्वारा दिया गया।

इस अवसर पर विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि चंद्र कुंवर बर्त्वाल के जीवन से हमें सीख मिलती है कि जीवन की विकट परिस्थितियों में भी हम अपनी इच्छा शक्ति के बल पर महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पवालिया में कवि बर्त्वाल के पैतृक भवन को संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. के. सी. दुदपुड़ी, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय अगस्त्यमुनि ने कहा कि युवाओं को उनके साहित्य का अध्ययन कर उस पर चिंतन करना चाहिए। उन्होंने बर्त्वाल के साहित्य को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता भी व्यक्त की।

कार्यक्रम संयोजक संजय सजवाण प्रधानाचार्य अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए आशा व्यक्त की यह कार्यक्रम बच्चों को सीखने को प्रेरित करेगा। साहित्यकार डॉ. उमेश चमोला ने अंग्रेजी के शोक गीतकारों (Elegy Writer ) टामस ग्रे, पी. बी. शैली और जॉन मिल्टन की कविताओं की पंक्तियों को उद्धरित करते हुए उनकी चंद्र कुंवर बर्त्वाल की कविताओं से तुलना करते हुए कहा कि बर्त्वाल की कविताओं में यमराज से सीधा संवाद है। उनकी कविताओं में अनोखा बिम्ब विधान देखने को मिलता है।

विजय सिंह राणा ने कहा कि उन्हें दिया गया सम्मान उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के रूप में जनता का सम्मान है।

बहुआयामी व्यक्तिव के स्वामी हैं डा. चमोला

उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षा विभाग में कार्यरत डॉ. उमेश चमोला एक शिक्षक, शिक्षक – प्रशिक्षक, साहित्यकार, पत्रकार जैसी कई बहुआयामी विशेषताओं के स्वामी हैं।डॉ. उमेश चमोला की अंग्रेजी भाषा में लिखी पुस्तक ‘ चिक चिक एन्ड ब्लोइंग विंड’ का जापानी और बांग्ला में और विज्ञान कथाओं का पंजाबी भाषा में अनुवाद हुआ है। उनके द्वारा लिखा गया गढ़वाली उपन्यास निर्बजु श्री गुरुराम राय विश्वविद्यालय देहरादून में एम. ए. स्तर के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हुआ है। उन्होंने लियो टॉलस्ताय की कहानियों और शेक्सपियर के नाटकों का गढ़वाली भाषा में रूपान्तर भी किया है। उनके कई शोध पत्र एन. सी. ई. आर. टी नई दिल्ली की शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। डॉ. उमेश चमोला ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020  को लागू करने के संबंध में चेयर परसन के रूप में कार्य किया है। स्वतंत्र पुस्तक लेखन के अलावा डॉ चमोला ने उत्तराखंड शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के लेखन में भी योगदान दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा निर्देशों के क्रम  में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित हमारी विभूतियाँ, हमारी विरासत, गृह विज्ञान और आपदा प्रबंधन पुस्तकों में डॉ. चमोला ने बतौर लेखक कार्य किया है। डॉ. उमेश चमोला ने शिक्षकों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में राष्ट्रीय और राज्य सन्दर्भदाता के रूप में भी योगदान दिया है।

इस अवसर पर सम्मानित आंदोलनकारी विजय सिंह राणा ने कहा कि उन्हें दिया गया सम्मान उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के रूप में जनता का सम्मान है। चंद्र कुंवरबर्त्वाल शोध संस्थान के अध्यक्ष हरीश गुसाईं ने कहा कि शोध संस्थान का उद्देश्य चंद्र कुंवर बर्त्वाल के साहित्य को जन जन तक पहुंचाना है। बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए बर्त्वाल की कविताओं का वाचन, कविता पोस्टर और बर्त्वाल के जीवन और साहित्य पर आधारित प्रश्नोत्तरी से संबंधित प्रतियोगिता रखी गई हैं। 

कार्यक्रम के दौरान बाबा केदारनाथ दास सेवा मंडल के अध्यक्ष चंद्र सिंह नेगी के सहयोग से रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया गया।कार्यक्रम में कविता पोस्टर प्रदर्शनी और कविता की सस्वर प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रहे।

कार्यक्रम का संचालन कुसुम भट्ट ने किया। इस अवसर पर साहित्यकार वृजमोहन भट्ट, पत्रकार अनुसूया प्रसाद मलासी, दीपक बेंजवाल, सुधीर बर्त्वाल, गंभीर सिंह बर्त्वाल, गिरीश बेंजवाल, डॉ. डी. एस. बिष्ट, हिमांशु भट्ट, उमा केंतुरा, सुंदर सिंह राणा, हर्ष वर्धन राणा, मनोज राणा, सुमन जमलोकी, दमयंती भट्ट आदि उपस्थित थे।

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