प्रोफेसर नंदकिशोर ढौंडियाल ‘अरुण’ को मिला प्रतिष्ठित डॉ.आंबेडकर सहित्यश्री राष्ट्रीय सम्मान…

भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा दिया जाने वाला डॉक्टर अंबेडकर साहित्य श्री राष्ट्रीय सम्मान वर्ष 2022 के लिए नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में उत्तराखंड के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ नंदकिशोर ढौंडियाल ‘ अरुण ‘ को प्रदान किया गया। डॉक्टर ढौंडियाल को यह सम्मान मिलने पर उत्तराखंड के साहित्यकारों एवं समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने हर्ष जताया है।

Dr Nand Kishore Dhaundiyal honoured by Dr Ambedkar sahityashree nationa award

भारतीय दलित साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा डॉ. अम्बेडकर मंडप, पंचशील आश्रम,झड़ौदा विलेज नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में डॉक्टर अंबेडकर साहित्य श्री राष्ट्रीय सम्मान वर्ष 2022 उत्तराखंड के प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ नंदकिशोर ढौंडियाल ‘ अरुण ‘ को प्रदान किया गया।

यह सम्मान उन्हें दिनांक 12 दिसंबर 2022 को श्री सत्यनारायण जटिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भाजपा द्वारा प्रोफेसर एस पी सुमनाक्षर, राष्ट्रीय अध्यक्ष,
भारतीय दलित साहित्य अकादमी एवं रमेश चंद्र रतन,अध्यक्ष, भारतीय रेलवे बोर्ड, भारत सरकार की उपस्थिति में दिया गया।

दलित एवं वंचित वर्ग के उत्थान हेतु साहित्य सृजन के लिए हुए सम्मानित

प्रोफेसर नंदकिशोर ढौंडियाल ‘ अरुण’ को यह पुरस्कार उनके साहित्य में शामिल दलित विमर्श तथा दलित चिंतन के संदर्भ में प्रदान किया जा रहा है। डॉक्टर अरुण ने अपनी विभिन्न पुस्तकों में उत्तराखंड के दलित महापुरुषों के जीवन चरित्र को विशेष स्थान दिया है। इसके अतिरिक्त उनके साहित्य में दलित तथा अपवंचित वर्ग की पीड़ा का समावेश सहज रूप से दिखाई पड़ता है। इतना ही नहीं अस्पृश्यता ,छुआछूत भेदभाव और दलित वर्ग के पिछड़ेपन के लिए भी वह अपने साहित्य में आवाज उठाते नजर आते हैं। उन्होंने वंचित, शोषित, उपेक्षितों को गढ़वाल की दिवंगत विभूतियों सहित विभिन्न साहित्यों में शिल्पकारों की शिल्पकला को उभारा है। उन्होंने बताया कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गढ़रत्न कर्मवीर जयानन्द भारती के अंग्रेजों के विरुद्ध पौड़ी पराक्रम दिवस 06 सितम्बर 1932 व डोला पालकी आंदोलन आदि को अपनी लेखनी के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया है, तो दूसरी ओर उत्तराखंड में भूदान आंदोलन के प्रणेता सोहन लाल भू-भिक्षु उर्फ स्वामी योगानन्द महाराज व समाज सुधार आंदोलन में आर्य समाज के योगदान को भी रेखांकित किया है। उनके इस साहित्यिक योगदान के लिए उनका राष्ट्रीय स्तर पर चयन किया गया है

डॉक्टर नंद किशोर ढौंडियाल की नई पुस्तक का भी हुआ विमोचन

इस अवसर पर प्रोफेसर ढौंडियाल जी की पुस्तक युग चेता भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का विमोचन भी अतिथियों के द्वारा किया गया।

डॉक्टर नंद किशोर ढौंडियाल अरुण – एक परिचय

उत्तराखंड के जनपद पौड़ी गढ़वाल के सुदूरवर्ती गांव सिलेत में जन्मे स्वर्गीय पंडित सीताराम ढौंडियाल और श्रीमती रेवती देवी के सुपुत्र प्रोफेसर नंदकिशोर ढौंडियाल ‘अरुण’ उत्तराखंड के वरिष्ठ साहित्यकार हैं ।उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड से हिंदी के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त डॉक्टर अरुण की साहित्यिक यात्रा उनकी किशोरावस्था से अब तक अनवरत जारी है।कविता, नाटक, जीवनी,निबंध जैसी लगभग सभी साहित्यिक विधाओं पर उनकी सौ से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सात वृहद खंडों में प्रकाशित गढ़वाल की दिवंगत विभूतियां(सन1980 के पश्चात), गढ़वाली भाषा है बोली नहीं, पेशावर का शांति शार्दुल, उत्तराखंड की जागर गाथाओं का कथा अंतरण, जननी और जन्मभूमि आदि उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं डॉक्टर अरुण के साहित्य पर कई शोधार्थी शोध भी कर चुके हैं तथा उनके अधीन कई शोधार्थियों ने अपना शोध कार्य में पूर्ण किया है।

इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री संघप्रिय गौतम, हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री एम एल रंगा, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री पवन राव घोलाप, पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण सिंह केसरी, पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉक्टर केसरी लाल वर्मा, प्रोफेसर रमेश चंद्र प्रोफेसर कालीचरण स्नेही, डॉक्टर मनोरमा ढौंडियाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति एवं साहित्यकार उपस्थित थे।

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