लगन और परिश्रम के मिसाल बने मैंदोली: 58 साल की उम्र में की…

डॉ. भगवती प्रसाद मैन्दोली ने 58 वर्ष की आयु में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त कर बने मिसाल

देहरादून, 8 अगस्त 2025। ” शिक्षा वह दीपक है, जो जीवन की हर उम्र में प्रकाश देता है।” इस कथन को साकार किया है समग्र शिक्षा, उत्तराखण्ड के राज्य परियोजना कार्यालय में कार्यरत अधिकारी श्री भगवती प्रसाद मैन्दोली ने। उन्होंने 58 वर्ष की आयु में देश के प्रतिष्ठित लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय, फगवाड़ा (पंजाब) से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि सीखने की न तो कोई सीमा होती है, न ही कोई उम्र।

Dr B P Maindoli honoured by Ph.D at the age of 58 years

डॉ. मैन्दोली ने “Competencies Developed Among Teachers and Students in Schools Incorporating Happiness Curriculum in Uttarakhand: A Comparative Study” विषय पर शोध कर पीएच.डी. की उपाधि अर्जित की। यह शोध उत्तराखण्ड के विद्यालयों में लागू ‘हैप्पीनेस करिकुलम’ (सुखद पाठ्यक्रम) के प्रभावों, शिक्षकों और छात्रों में विकसित हो रही सामाजिक-भावनात्मक क्षमताओं और शैक्षिक वातावरण पर इसके पड़ने वाले प्रभावों का तुलनात्मक अध्ययन है। इस शोधकार्य का मार्गदर्शन प्रोफेसर विजय कुमार छैछी ने किया।

इस शोध की विशेषता यह है कि यह शिक्षा के मानवीय पक्ष को केंद्र में रखता है। वर्तमान समय में शिक्षा केवल बौद्धिक विकास तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह आवश्यक हो गया है कि बच्चों में संवेदनशीलता, आत्म-जागरूकता, करुणा और सहयोग की भावना का भी विकास हो। डॉ. मैन्दोली का शोध इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो भविष्य की शिक्षा प्रणाली को अधिक मूल्यनिष्ठ, आनंददायी और समावेशी बनाने में सहायक होगा।

डा. भगवती प्रसाद मैन्दोली का शैक्षिक जीवन प्रारंभ से ही अनुकरणीय रहा है। वे राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोपेश्वर, चमोली से एम.एस.सी. (वनस्पति विज्ञान) में विश्वविद्यालय टॉपर रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने बी.एड., एम.ए. (शिक्षाशास्त्र), एम.ए. (सामाजिक कार्य) सहित कई अन्य डिग्रियाँ भी अर्जित की हैं। शिक्षक प्रशिक्षण साहित्य, पाठ्यचर्या विकास और अकादमिक कार्यों में उनका विशेष योगदान रहा है। राजकीय सेवा के साथ-साथ उच्च शिक्षा की राह पर निरंतर अग्रसर रहना, उनकी लगन, अनुशासन और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

डॉ. मैन्दोली की यह उपलब्धि समाज में एक सकारात्मक संदेश देती है कि उम्र चाहे जो भी हो, यदि व्यक्ति में सीखने की ललक और निरंतर प्रयास करने की भावना हो, तो वह किसी भी मुकाम तक पहुँच सकता है। शिक्षा जीवन को नया दृष्टिकोण, आत्मविश्वास और दिशा देती है। यह उपलब्धि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ चुके हैं या उम्र को बाधा मान बैठे हैं।

राज्य परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड एवं विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड के अधिकारियों और स्टाफ ने डॉ. मैन्दोली को इस अद्वितीय उपलब्धि के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं।राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा उत्तराखंड में कार्यरत प्रधान सहायक अभिषेक राणा ने बताया कि डॉ. मैंदोली की  उपलब्धि को केवल व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक नहीं, बल्कि राज्य के शिक्षा विभाग के लिए भी गौरव की बात माना जा रहा है।

डॉ. मैन्दोली ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और निष्ठा अटूट, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।

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