देश को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम है हिंदी: धामी, हिंदी दिवस पर साहित्यकारों और विद्यार्थियों को किया सम्मानित

राष्ट्रभाषा हिंदी सरल,सुलभ, और सुबोध भाषा है। इसके अंदर अन्य सभी भाषाओं को समावेशित करने की अद्भुत क्षमता है देश को एकता के सूत्र में पिरोने का माध्यम हिंदी ही है। यह विचार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा हिंदी दिवस पर आयोजित हिंदी दिवस समारोह में अपने संबोधन में व्यक्त किए।

Chief minister uttarakhand falicitated students and authors on hindi diwas

उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा हिंदी दिवस पर आयोजित समारोह का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री उत्तराखंड, पुष्कर सिंह धामी, भाषा, वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजाना दास,दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल, पूर्व कुलपति सुधा रानी पांडेय, सचिव भाषा विभाग विनोद प्रसाद रतूड़ी और निदेशक उत्तराखंड भाषा संस्थान स्वाति एस भदौरिया ने दीप प्रज्वलित कर किया।

स्वागत उद्बोधन में निदेशक उत्तराखंड भाषा संस्थान स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि हिंदी जन सामान्य की भाषा है। उत्तराखंड भाषा संस्थान हिंदी तथा उत्तराखंड की लोक भाषाओं के प्रचार प्रसार एवं संरक्षण की दिशा में कार्यरत है। उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान, पुस्तक प्रकाशन हेतु अनुदान, विद्यार्थियों की लेखन प्रतियोगिताओं और मेधावी छात्रों के सम्मान जैसे अनेक कार्यक्रम उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा चलाए जा रहे हैं।

समारोह की मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए दूध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने हिंदी की समृद्ध परंपरा पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि हिंदी का शब्द भंडार अन्य किसी भी भाषा से अधिक समृद्ध है।  यहां तक कि विश्व के अधिकांश देशों में बोली जाने वाली अंग्रेजी भाषा में भी कई हिंदी शब्दों के पर्यायवाची नहीं मिलते हैं। हिंदी हमारे सामान्य संबंधों की भाषा है और यह हमारी संस्कृति और इतिहास का संरक्षण करने का महत्वपूर्ण साधन भी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विधायक राजपुर रोड विधानसभा खजान दास ने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा मुख्यमंत्री उत्तराखंड तथा भाषा मंत्री के मार्गदर्शन में और कुशल अधिकारियों के नेतृत्व में सराहनीय कार्य किया जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि सभी शासकीय समारोहों तथा आधिकारिक बैठकों में होने वाले प्रस्तुतीकरण हिंदी में ही किए जाएं।

समारोह के विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड के भाषा वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि आज समय की आवश्यकता है कि हम अपनी लोक भाषाओं के संरक्षण के लिए कार्य करें । हमें अपनी भाषाओं को बोलने में गर्व होना चाहिए। यदि हम अपनी भाषाओं का संरक्षण कर नई पीढ़ी को हस्तांतरित करेंगे, तभी हमारी संस्कृति भी संरक्षित रह पाएगी। भाषा के संरक्षण के बिना संस्कृति के संरक्षण की बात करना बेमानी है।

साहित्यकारों और विद्यार्थियों को किया सम्मानित

हिंदी दिवस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री तथा भाषा मंत्री द्वारा साहित्य के सृजन और प्रचार प्रसार और प्रतियोगिताओं के निर्णायकों के रूप में योगदान के लिए  डॉ. अतुल शर्मा, अंबर खरबंदा,महावीर रंवाल्टा, प्रदीप बहुगुणा दर्पण, डॉ. दीपक नवानी डा. उमा शर्मा आदि को सम्मानित किया गया।

राज्य स्तरीय कहानी, कविता, नाटक और यात्रा संस्मरण लेखन प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को भी इस अवसर पर प्रशस्ति पत्र और नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। बोर्ड परीक्षाओं में हिंदी, पंजाबी, उर्दू, फारसी तथा संस्कृत भाषा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को भी कार्यक्रम के दौरान पुरस्कृत किया गया इस अवसर पर कविता लेखन प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बाल कवि सक्षम गौड़ तथा सोनी मौर्य द्वारा कविता पाठ भी किया गया।

मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को बताएं महत्वपूर्ण जीवन सूत्र

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में हिंदी भाषा के महत्व पर चर्चा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा किए गए जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा बताया कि भाषाओं के प्रचार प्रसार के लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं। मेडिकल इंजीनियरिंग जैसे जटिल विषयों की पढ़ाई भी हिंदी में उपलब्ध कराई जा रही है।

उन्होंने कहा कि हिंदी ने हमारे समाज को जोड़ा है। यह हमारी अस्मिता,संस्कृति और भारतीयता का प्रतीक है। हिंदी ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया है यही कारण है कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप सहित दुनिया के अनेक देशों में आज हिंदी संवाद का माध्यम बन गई है। कई देशों में हिंदी भाषा का अध्ययन किया जा रहा है। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया आपके बारे में क्या सोच रही है, यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि आप स्वयं अपने बारे में क्या सोचते हैं यह अधिक महत्वपूर्ण है उन्होंने कहा कि बालिका जीवन का स्वर्णिम काल है इसलिए इस समय का सर्वाधिक सदुपयोग करना चाहिए । बीता हुआ समय कभी भी वापस नहीं आता है हम जो भी कार्य करें उसे पूर्ण रूप से समर्पित होकर करें क्योंकि मन के हार हार है, और मन के जीते जीत।

आज की युवा पीढ़ी कल का भविष्य है और इसीलिए हमें संकल्प लेना होगा कि अपनी भाषा और संस्कृति का संरक्षण करेंगे और इसका प्रचार प्रसार करेंगे । तभी माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आशा के अनुरूप भारत 2047 तक विश्व में सिरमौर बन सकेगा।

इस अवसर पर राज्य के कई प्रमुख साहित्यकार, समाजसेवी, जनप्रतिनिधि तथा उत्तराखंड भाषा संस्थान के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन हेमंत बिष्ट ने किया।

Leave a Comment

%d