विद्यालयी शिक्षा विभाग उत्तराखंड द्वारा प्रवक्ता पदों पर रिक्तियों के सापेक्ष अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति हेतु जारी वरीयता सूची का विरोध होना शुरू हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ की एससीईआरटी उत्तराखंड शाखा अध्यक्ष डॉक्टर अंकित जोशी ने इस पर कड़ा विरोध जारी करते हुए रिक्त पदों पर एल टी शिक्षकों की पदोन्नति की मांग की है।
विद्यालयी शिक्षा विभाग उत्तराखंड में बड़ी मात्रा में प्रवक्ताओं के 3000 से भी अधिक पद रिक्त हैं। इतने अधिक रिक्त पदों के कारण शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। जहां एक ओर इन रिक्त पदों पर 25 से 30 वर्षों से भी अधिक समय से सहायक अध्यापक एलटी पद पर कार्यरत शिक्षक पदोन्नति की राह देख रहे हैं, और लंबे समय से पदोन्नति हेतु आंदोलन भी कर रहे हैं,वहीं दूसरी ओर इन रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती की कार्यवाही प्रारंभ होने पर विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। राजकीय शिक्षक संघ की एससीईआरटी शाखा के अध्यक्ष डॉ अंकित जोशी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
विद्यालयी शिक्षा विभाग उत्तराखंड की वेबसाइट पर प्रवक्ता पदों की रिक्तियों को अतिथि शिक्षकों से भरे जाने के लिए वरीयता सूची जारी कर दी गई है इस पर कड़ा रोष जताते हुए डॉक्टर अंकित जोशी ने कहा कि प्रवक्ता के पदोन्नति के पदों पर विभाग द्वारा अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति उन शिक्षकों के साथ अन्यायपूर्ण है जो वर्षों से पदोन्नति की राह देख रहे हैं । विभाग को प्रवक्ता के इन पदों के विवरण को सार्वजनिक करना चाहिए जिन पर वह अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करने जा रहा है कि ये रिक्त पद पदोन्नति के हैं या सीधी भर्ती के ।
डॉक्टर जोशी के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा अतिथि शिक्षकों की प्रवक्ता पदों पर भर्ती का ऐसा मनमाना आदेश शिक्षक संघ को उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर कर रहा है ।विभाग यदि तत्काल यह सार्वजनिक नहीं करता है कि ये पद सीधी भर्ती के हैं या पदोन्नति के तो शिक्षक संघ माननीय उच्च न्यायालय में जाने के लिए मजबूर हो जाएगा । इससे तो यह प्रतीत हो रहा है कि शिक्षा विभाग उत्तराखंड शिक्षा को केवल कामचलाऊ व्यवस्था के तहत संचालित करना चाह रहा है और पदोन्नति के मसले पर कोई निर्णय ही नहीं लेना चाह रहा । विभाग के ऐसे निर्णय उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय अतिथि शिक्षकों के भविष्य के साथ भी एक मजाक बन कर रह जाएगा, क्योंकि पदोन्नति के पद के सापेक्ष भर्ती होने वाले शिक्षक का आगे कोई भविष्य नहीं है और इस प्रकार विभाग भविष्य में अपने लिए ही कोर्ट के विवाद तैयार कर रहा है ।