देहरादून, 8अगस्त। वर्ष 2025 का हिमवंत साहित्य सम्मान डॉ. उमेश चमोला को दिया जाएगा। । चंद्र कुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान अगस्त्यमुनि रुद्रप्रयाग द्वारा हर वर्ष कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की जयंती के अवसर पर एक साहित्यकार को हिमवंत सम्मान दिया जाता है। वर्ष 2025 के लिए यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद डॉ. उमेश चमोला को दिया जाएगा। यह जानकारी चंद्रकुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान के अध्यक्ष हरीश गुसाईं ने देते हुए कहा कि डॉ. चमोला को यह सम्मान 22 अगस्त को अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि में विधायक आशा नौटियाल के हाथों दिया जाएगा।

श्री गुसाईं ने बताया कि डॉ. चमोला के व्यापक साहित्यिक एवं शैक्षिक योगदान को देखते हुए उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि डॉ. चमोला द्वारा अंतरराष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी, हिन्दी और अपनी सांस्कृतिक पहचान गढ़वाली में लेखन किया गया है। उनकी पुस्तकों में उत्तराखंड का लोक मुखर है। उन्होंने 300 लोक कथाओं को प्रकाशित कर उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण किया है। उन्होंने कहा कि डॉ. चमोला को दिया जा रहा सम्मान एक व्यक्ति का सम्मान नहीं बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति का सम्मान है। ज्ञातव्य है कि डॉ. उमेश चमोला की अंग्रेजी भाषा में लिखी पुस्तक ‘ चिक चिक एन्ड ब्लोइंग विंड’ का जापानी और बांग्ला में और विज्ञान कथाओं का पंजाबी भाषा में अनुवाद हुआ है। उनके द्वारा लिखा गया गढ़वाली उपन्यास निर्बजु श्री गुरुराम राय विश्वविद्यालय देहरादून में एम. ए. स्तर के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हुआ है। उन्होंने लियोटॉलस्ताय की कहानियों और शेकस्पियर के नाटकों का गढ़वाली भाषा में रूपान्तर भी किया है। उनके कई शोध पत्र एन. सी. ई. आर. टी नई दिल्ली की शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। डॉ. उमेश चमोला ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के संबंध में चेयर परसन के रूप में कार्य किया है। स्वतंत्र पुस्तक लेखन के अलावा डॉ चमोला ने उत्तराखंड शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के लेखन में भी योगदान दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित हमारी विभूतियाँ, हमारी विरासत, गृह विज्ञान और आपदा प्रबंधन पुस्तकों में डॉ. चमोला ने बतौर लेखक कार्य किया है। डॉ. उमेश चमोला ने शिक्षकों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में राष्ट्रीय और राज्य सन्दर्भदाता के रूप में भी योगदान दिया है।
डा. चमोला की इस उपलब्धि पर कई साहित्यकारों, शिक्षाविदों और शिक्षकों ने हर्ष जताया है।