धाद स्मृति वन मालदेवता, देहरादून में आज धाद प्रकाशन के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ कथाकार मुकेश नौटियाल के कहानी संग्रह ‘हिमालय की कहानियां ‘पर बातचीत की गई। मुकेश नौटियाल से रविंद्र नेगी द्वारा सवाल जवाब के रूप में उनकी कहानियों पर विस्तृत चर्चा की गई ।पहाड़ के एक सुदूर गांव से देहरादून तक एक कथाकार की यात्रा किस प्रकार हुई,इस पर बोलते हुए नौटियाल जी ने अपने लेखन की शुरुआत तथा इसके बाद की बत्तीस वर्षों की लेखन यात्रा के बारे में खुलकर बात की। बाल कहानियों का वर्तमान समय में कितना महत्व है और हिमालय उनकी कहानियों की केंद्र में क्यों है इस पर श्री नौटियाल ने विस्तार से अपनी बात रखी। आज के युग में साहित्य के सामने क्या चुनौतियां हैं इस पर भी विमर्श हुआ, और सभी पाठकों से अपील की गई कि हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए पठन-पाठन की संस्कृति को विकसित करने की आवश्यकता है।
नौटियाल जी की कहानियों की पाठकीय समीक्षा राकेश बलूनी, शांति प्रसाद जिज्ञासु , दर्द गढ़वाली एवं सुधा जुगरान आदि साहित्यकारों के द्वारा की गई। इस अवसर पर मीनाक्षी जुयाल द्वारा नौटियाल जी की कहानी ‘जाली वाला दरवाजा’ का वाचन भी किया गया। कहानियों पर अपनी बात रखते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ कथाकार जितेन ठाकुर द्वारा चिंता व्यक्त की गई कि आजकल हिंदी कथाकार के सामने विशेष चुनौतियां है, क्योंकि आज के हिन्दी कथाकार को अंग्रेजी कथाकार के मुकाबले दोयम दर्जे का समझा जा रहा है , जबकि साहित्य तो ऐसा सेतु है जो दिल से निकली हुई बात को दिल तक पहुंचाता है। हिमालय की कहानियों के संदर्भ में बोलते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि हिमालय जितना सुंदर और शक्तिशाली है, हिमालय की समस्याएं भी हिमालय की तरह उतनी ही विकट है । इन समस्याओं को बाल कहानियों के माध्यम से श्री नौटियाल ने भली-भांति उठाया है। उन्होंने सभी साहित्यकारों से अपील की, कि जनमानस से जुड़ा हुआ साहित्य लिखें, लोक जीवन और लोक अनुभव को अपने साहित्य में शामिल करें। यदि ऐसा किया जाए तो साहित्य जनमानस में अवश्य प्रचलित होगा और पाठकों द्वारा सराहा भी जाएगा।
कार्यक्रम के बाद ‘कल्यों’ के तहत दोपहर के भोजन के रूप में स्वादिष्ट गढ़वाली व्यंजन परोसे गए जिनकी व्यवस्था श्रीमती मंजू काला के नेतृत्व में की गई । इस अवसर पर धाद के सचिव तन्मय मंमगाई, वरिष्ठ साहित्यकार सुधारानी पांडे, पुष्पलता मंमगाई पंत सहित साहित्य जगत से जुड़ी कई हस्तियाँ उपस्थित थीं।
बहुत बढ़िया. विषय भी और आयोजन भी.
कार्यकम सुचिब्द सुचारू रूप से बहुत सुंदर तरीके से संम्पन रहा इसके लिए श्री तन्मय जी, मंजू काल जी ,नीना रावत जी व वीरेंद्र खंडूरी जी का आभार , लेख़क मुकेश नोटियाल जी को उनकी पुस्तक "हिमालय की कहानियाँ " बहुत बहुत बधाई ।
जी, धन्यवाद।
धन्यवाद।