भारतीय संस्कृति में है जीवन-मूल्यों और मानवतावाद का समावेश: नारद जी थे आद्य पत्रकार , नारद जयंती परयहाँ किया गया पत्रकारों को सम्मानित , पत्रिका हिमालय हुंकार के आजादी के अमृत महोत्सव विशेषांक का हुआ विमोचन


विश्व  संवाद केंद्र देहरादून द्वारा  आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों के कालखंड में वर्तमान समय भारत की पुनर्प्रतिष्ठा का समय है। हमारा देश प्राचीनकाल से ही शास्वत, सनातन संस्कृति का संवाहक रहा है, जिसने पूरे विश्व को जीवन-मूल्यों और मानवतावाद का पाठ पढ़ाया है। यही कारण है कि आज सारे विश्व में पूरब से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक हमारे सांस्कृतिक चिह्न मिल रहे हैं।

सुधांशु त्रिवेदी यहां देहरादून में नारद जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से चाहे मीडिया हो या फिल्म जगत दोनों ही जगहों पर इस प्रकार का नैरेटिव बनाया गया कि भारतीय समाज और भारतीय जीवन मूल्यों का नैतिक पतन दिखाया गया. माला -कंठी पहने भगवा वस्त्र धारण करने वाले पात्रों को खलनायक अथवा कॉमेडियन के रूप में दिखाया जाता रहा है, जबकि अन्य संप्रदायों के पात्रों को चरित्रवान और सबकी मदद करने वाला व्यक्ति दर्शाया जाता रहा है। किसी भी देश को मानसिक गुलाम बनाने के एजेंडे का यह प्रथम चरण होता है, कि वहाँ के जनमानस को नैतिक पतन की ओर ले जाया जाए। दूसरे चरण में अस्थिरता का माहौल बनाया जाता है, फिर देश के विरुद्ध क्रांति की शुरूवात की जाती है। और अंतिम चरण में देश पर वैचारिक और राजनीतिक रूप से कब्जा करने के पश्चात स्थिति को इस प्रकार सामान्य कर दिया जाता है कि इसके बाद उस गुलामी के खिलाफ कोई भी आवाज नहीं उठा सके आजकल देश में नैतिक पतन और अस्थिरता का मिला-जुला प्रयोग किया जा रहा है हमें गंगा जमुनी तहजीब और लिबरल होने का पाठ पढ़ाने वाले खुद कितने लिबरल हैं ,यह पूरे विश्व के परिदृश्य को देखकर समझा जा सकता है। जो आज स्वयं को लिबरल होने का तमगा देते हैं ,वही सबसे ज्यादा हार्ड लाइनर फंडामेंटलिस्ट को प्रश्रय देते हैं ,जबकि हमारी संस्कृति में सदैव वसुधैव कुटुंबकम और सद्भावना की बात की गई है । कई पाश्चात्य विद्वानों का उदाहरण देते हुए श्री त्रिवेदी ने कहा कि प्रथम मानव निर्मित अंतरिक्ष यान वाइजर पर जो संदेश अन्य ग्रहों के प्राणियों के लिए भेजा गया उसमें भी कार्ल सैगन ने भारतीय संस्कृति की प्रशंसा की है। हाल ही में कुछ वर्षों पहले गॉड पार्टिकल संबंधी एक प्रयोग यूरोप की सर्न प्रयोगशाला में किया गया, जिसने विश्व को एक क्रांतिकारी खोज का नया आयाम दिया , उस विश्वप्रसिद्ध प्रयोगशाला में भी नटराज की मूर्ति स्थापित की गई है और उसे विज्ञान से जोड़ा गया है । मंगोलिया के मकबरों में आज भी त्रिशूल और श्रृंगी स्थापित हैं।

 पारिवारिक मूल्यों की बात करते हुए उन्होंने कहा कहा कि औरंगजेब भी अपने चार भाइयों में एक था और श्री राम ,लक्ष्मण, भरत ,शत्रुघ्न भी चार भाई थे । जहां एक और औरंगजेब ने अपने तीनों भाइयों को मरवा दिया वहीं दूसरी ओर पिता की इच्छा मात्र के लिए राम और लक्ष्मण वन को चले गए । भरत ने भी बड़े भाई की खड़ाऊ के सहारे उन्हीं के नाम पर राज्य का संचालन किया । अब हमें विचार करना चाहिए कि हम कैसा परिवार चाहते हैं औरंगजेब जैसा या श्री राम के जैसा ? विश्व भर में भारतीय मेधा के योगदान पर बोलते हुए उन्होंने कहा किज्ञान और विज्ञान का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां भारतीय प्रतिभा का गुणगान ना हो रहा हो।


इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले कुछ पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया। सम्मानित होने वाले पत्रकारों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से वरिष्ठ पत्रकार राकेश खंडूरी, भूपेंद्र कंडारी, परितोष किमोठी , अफजाल अहमद ,भारती सकलानी उनियाल, अधीर यादव और शैलेश नौटियाल शामिल थे ।

पत्रिका हिमालय हुंकार के आजादी के अमृत महोत्सव विशेषांक का विमोचन :

 इसके साथ ही विश्व संवाद केंद्र की पाक्षिक पत्रिका हिमालय हुंकार के आजादी के अमृत महोत्सव विशेषांक का विमोचन भी किया गया। पत्रिका का सम्पादन वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक रणजीत सिंह ज्याला एवं आलोक डंगवाल  ने किया है।  

   कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए इस अवसर पर #विश्व संवाद केंद्र के निदेशक विजय कुमार ने कहा कि नारद ऋषि आद्य पत्रकार थे । भले ही फिल्म और मीडिया में उनकी छवि को एक विदूषक के रूप में दर्शाया जाता रहा , लेकिन वह जगत हितैषी और निष्पक्ष पत्रकार थे।  पत्रकारिता की शुरुआत का श्रेय यदि किसी को दिया जा सकता है तो वह नारद जी ही थे ,यही कारण है कि हिंदी के प्रथम समाचार पत्र उदंत मार्तंड का प्रकाशन भी नारद जयंती के अवसर पर ही शुरू किया गया था। इसीलिए #नारद जयंती को पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आरोग्यम एजुकेशनल ट्रस्ट, रुड़की के संदीप केडिया थे ,जो वर्तमान में चिकित्सा एवं चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र के निदेशक विजय कुमार , अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल,राज्यसभा सांसद नरेश बंसल , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर जी, विभाग प्रचारक भगवती जी ,भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष  विपुल मैंदोली ,राजकुमार ,बलदेव पवार, शिक्षाविद बी. पी. मैंदोली सहित  देहरादून महानगर के कई प्रबुद्ध नागरिक, पत्रकार और लेखक उपस्थित थे । 


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