शिक्षकों की बी. एल. ओ. ड्यूटी का विरोध,छात्रों की पढ़ाई हो प्राथमिकता

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जहां शिक्षकों से शिक्षणेत्तर कार्य न लिए जाने की अनुशंसा करती है और इसके समर्थन में उत्तराखंड राज्य में विशेष प्रावधान भी किए गए हैं। इसके बावजूद शिक्षकों की बूथ लेवल ऑफिसर के रूप में नियुक्ति कर दी गई है।

विधानसभा निर्वाचक नामावली की तैयारी एवं पुनरीक्षण आदि कार्यों के संचालन एवं संपादन के लिये शिक्षकों को बीएलओ के रूप में नियुक्त किये जाने पर उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ रायपुर इकाई ने गहरा रोष प्रकट करते हुये शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त रखने सम्बन्धी ज्ञापन उप शिक्षा अधिकारी को सौंपा।

Teachers association opposed blo duty of teachers

उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ रायपुर के अध्यक्ष अरविन्द सिंह सोलंकी ने बताया कि सैकड़ों शिक्षक अभी पंचायत चुनाव तथा मतगणना संपन्न करा कर विद्यालय में पहुंचे ही थे कि अब उन्हें अग्रिम आदेशों तक विधानसभा निर्वाचक नामावली तैयार करने के लिये बीएलओ के रूप में नियुक्त कर दिया गया है, जिससे विद्यालयों की व्यवस्थायें बुरी तरह प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के ऊपर शिक्षण कार्य के साथ ही अनेकों विभागीय ऑनलाइन तथा ऑफलाइन कार्यों के साथ-साथ पी एम पोषण योजना के सफल संचालन की जिम्मेदारी भी है, उसके बावजूद अग्रिम आदशों तक शिक्षकों को बीएलओ के रूप में नियुक्त कर दिया गया है जिससे समाज के एक बड़े वर्ग के नौनिहालों के शिक्षण का एक मात्र सहारा सरकारी विद्यालयों की व्यवस्थायें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। अनेकों शिक्षकों को उनके कार्यस्थल से कई किलोमीटर दूर के मतदेय स्थलों पर बीएलओ नियुक्त किया गया है जिससे उनके विद्यालय के साथ-साथ उनकी पारिवारिक दायित्व भी प्रभावित हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि पूर्व में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां तथा आशा वर्कर बीएलओ के कार्य को बखूबी संपादित कर रहीं थी, लेकिन अचानक से उन्हें हटाकर शिक्षकों को बीएलओ नियुक्त कर दिया गया है। उन्होंने सभी शिक्षकों को बीएलओ के कार्य से तत्काल मुक्त करने के लिये उप शिक्षा अधिकारी को अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाही करने का अनुरोध किया है।

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