मातृ दिवस पर तनुज पंत ‘अनंत’ की दिल को झकझोर देने वाली कविता ….

(तनुज पंत ‘अनंत‘  एक बैंक अधिकारी हैं।  लेखन,पठन-पाठन में रूचि व  साहित्य के क्षेत्र में प्रभावी दखल रखते हैं.) *मातृ दिवस* सिलवटों भरे खुरदुरे से सूने चेहरे शून्य ताकती नज़रें आंखों के गिर्द स्याह घेरे धोती के पल्ले से जबरन सिसकियां थामे यूं चुप्पी साधे चिपक गई हो जैसे जिव्हा तालू पर मैंने देखी हैं ऐसी माएं … Read more

देशप्रेम पर एक प्रस्तुति : न तन चाहिए, न धन चाहिए, जन्नत के जैसा वतन चाहिए । टूट जाएंगे पिंजरे भी ए पंछियों उड़ने की दिल में लगन चाहिए। मंदिर का नहीं, मस्जिद का नहीं, इंसानियत का केवल जतन चाहिए।

                             न तन चाहिए, न धन चाहिए, जन्नत के जैसा वतन चाहिए । टूट जाएंगे पिंजरे भी ए पंछियों उड़ने की दिल में लगन चाहिए। मंदिर का नहीं,मस्जिद का नहीं, इंसानियत का केवल जतन चाहिए। नहीं कोई राजा, न कोई भिखारी, लगें … Read more

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