हिंदी दिवस पर विशेष कविता : भारत के माथे की बिंदी

फोटो -साभार (इंटरनेट) भारत के माथे की बिंदी,  हिंदी है हम सबकी  हिंदी ।  जिससे अपनी संस्कृति ज़िंदी, हिंदी है वो सबकी  हिंदी॥  भारत के माथे की बिंदी… हिंदी से विज्ञान बना है, हिंदी में इतिहास पला है।  इसकी पावन ऊर्जा से ही संस्कृति का विहान चला है।।   तबलों की थापें हैं, इसमें वीणा के … Read more

लॉकडाउन में मजदूर

फोटो-इंटरनेट (साभार) सिर पर बड़ी गठरियाँ लादे, कंधों पर थैले लटकाये। लॉकडाउन का कर उल्लंघन, भीड़ बने,सड़कों पर छाये॥ शौक नहीं,इनको भ्रमण का, न कानून तोड़ना,है मंजूर। लाचार हुए नियति के हाथों, चल रहे निरंतर,ये मजदूर॥ जहाँ हैं,गर वहीं रहे तो, क्या खाएँगे,क्या ये पीयेंगे। काम नहीं,पैसा भी नहीं है, भूखे पेट,कब तलक जीएँगे॥ कौन … Read more

कहाँ कोरोना रोका साहब

…..प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’ फोटो(साभार)-इन्टरनेट कहाँ कोरोना रोका साहब, देते सबको धोखा साहब। घूम रहे सब खुल्लमखुल्ला, मार रहे हैं चौका साहब।। पचास केस पर लॉकडाउन था, बंद विलेज और हर टाउन था। गली कूचे सुनसान पड़े थे, शहर भी सब वीरान पड़े थे। अब लाखों में नंबर आया। तो सब कुछ है क्यों खुलवाया। यही … Read more

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