कुछ लिखा जाता नहीं

मायने अच्छाई के इस शहर में कुछ और हैं, अच्छा है कि मुझको यहां अच्छा कहा जाता नहीं. सोचता हूं कि चुप रहूं मैं भी उन सबकी तरह, पर देखकर रंगे जमाना चुप रहा जाता नहीं दर्द अपना हो तो मैं चुपचाप सह लूंगा उसे, दर्द बेबस आदमी का पर सहा जाता नहीं… भूख से … Read more

कलम मेरी खामोश नहीं

                           कलम मेरी खामोश नहीं, ये लिखती नई कहानी है। इसमें स्याही के बदले मेरी, आंखों वाला पानी है।। सृजन की सरिता इससे बहती झूठ नहीं ये सच है कहती। जीवन के हर सुख-दुख में ये, कलम सदा संग मेरे रहती॥ ये मेरी सहचरी,मेरी सहेली , मेरे … Read more

हिंदी दिवस पर विशेष कविता : भारत के माथे की बिंदी

फोटो -साभार (इंटरनेट) भारत के माथे की बिंदी,  हिंदी है हम सबकी  हिंदी ।  जिससे अपनी संस्कृति ज़िंदी, हिंदी है वो सबकी  हिंदी॥  भारत के माथे की बिंदी… हिंदी से विज्ञान बना है, हिंदी में इतिहास पला है।  इसकी पावन ऊर्जा से ही संस्कृति का विहान चला है।।   तबलों की थापें हैं, इसमें वीणा के … Read more

Exit mobile version