मातृ दिवस पर तनुज पंत ‘अनंत’ की दिल को झकझोर देने वाली कविता ….

(तनुज पंत अनंत‘  एक बैंक अधिकारी हैं। 
लेखन,पठन-पाठन में रूचि व  साहित्य
 के क्षेत्र में प्रभावी दखल रखते हैं.)

*मातृ दिवस*

सिलवटों भरे

खुरदुरे से
सूने चेहरे
शून्य ताकती नज़रें
आंखों के गिर्द
स्याह घेरे
धोती के पल्ले से
जबरन सिसकियां थामे
यूं चुप्पी साधे
चिपक गई हो जैसे
जिव्हा तालू पर
मैंने देखी हैं
ऐसी माएं
वृद्धाश्रम की चौखट पर।

कभी रहती थीं
बच्चों के लिए
जो आंखें बेकरार
उन आंखों में
अब नज़र आता है
सम्बंधों के ह्रास का सत्य
त्यागे जाने पर अंधकार
संवेदनाओं के
निधन के बाद
प्राणों की
मुक्ति का इंतज़ार।। 
                                                    …………तनुज पंत ‘अनंत ‘
पोस्ट पर अपने सुझाव/प्रतिक्रिया देने अथवा अधिक जानकारी हेतु यहाँ लिखें…

2 thoughts on “मातृ दिवस पर तनुज पंत ‘अनंत’ की दिल को झकझोर देने वाली कविता ….”

  1. अत्यंत मार्मिक रचना। गहरे से भावविह्वल कर जाती है। निःशब्द महसूस कर रहा हूँ।

    Reply

Leave a Comment

Exit mobile version