विद्यालयों में बस्तारहित दिवस पर आयोजित होंगी ये गतिविधियां, एससीईआरटी उत्तराखंड ने बनाई गतिविधि पुस्तिका

बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु गतिविधि पुस्तिका विकास कार्यशाला का समापन, 120 से अधिक गतिविधियां विकसित।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसा के अनुसार विद्यालयों में वर्ष भर में 10 बस्ता रहित दिवसों का आयोजन किया जाना है। इन विशेष दिनों में बच्चों को कौन सी गतिविधियां कराई जा सकती हैं,इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा शिक्षकों की मदद के लिए एक  गतिविधि पुस्तिका का विकास किया गया है। गतिविधि पुस्तिका विकसित करने के लिए एक  पांच दिवसीय कार्यशाला काआयोजन किया गया।

Scert uttarakhand developed activities for bagless days

कार्यशाला के समापन अवसर पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना  गर्ब्याल ने कहा कि यह  गतिविधि पुस्तिका विद्यालयों में बस्ता रहित दिवसों के संचालन में महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने शिक्षकों से विद्यालय स्तर पर इन दिवसों के प्रभावी क्रियान्वयन का आवाह्न भी किया।

इस अवसर पर अपर निदेशक एस सी ई आर टी श्रीमती आशा रानी पैन्यूली ने कहा कि बस्ता रहित दिवस को संचालित गतिविधियों के माध्यम से छात्र व्यावसायिक शिक्षा की जानकारी के साथ-साथ भावी जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होंगे।


कार्यशाला में किए गए कार्य के विषय में एन ई पी प्रकोष्ठ और कार्यशाला समन्वयक मनोज किशोर बहुगुणा ने बताया कि कार्यशाला में कुल 40 प्रतिभागियों द्वारा 10 समूहों में कार्य किया। जिसमें 9 समूहों द्वारा विस्तृत रूप से कई  गतिविधियाँ विकसित की गई।


प्रथम समूह में वीर सिंह रावत,  सरोजिनी उनियाल, दीपक प्रसाद भद्री तथा  विपुल सकलानी द्वारा अपने विद्यालय के परिवेश में पाए जाने वाले पेड़ पौधों की पहचान करना, स्थानीय अनाजों के बारे में जानकारी प्राप्त करना, पशु पक्षियों की पहचान करना, छात्र पशु पक्षियों की जानकारी उनसे होने वाले लाभ उनके प्रति प्रेम तथा मृदा परीक्षण, समूह दो में डॉ. जगमोहन सिंह पुण्डीर, रेखा कण्डारी, याचना भंडारी एवं  नीनू किमोठी द्वारा फ्लोरी कल्चर, बैकिंग प्रणाली, सौन्दर्य देखभाल एवं डेरी व्यवसाय, समूह तीन में नरेश चंद कुमाई,खीम सिंह कंडारी ,विनीता रतुड़ी और आमु खम्पा के द्वारा कृषि मेला भ्रमण, मशरूम उत्पादन, भीमल से शैम्पू बनाना तथा रिंगाल से बिभिन्न प्रकार की सामग्री निर्माण, समूह चार में  दिगंबर सिंह नेगी,  सलिल मोहन मंमगाई, आरती बहुगुणा,  लता शर्मा द्वारा अनुपयोगी वस्तुओं से वैज्ञानिक अवधारणा युक्त खिलौने बनाना, ओरिगेमी कला द्वारा फोटो फ्रेम निर्माण, जल विद्युत परियोजनाओं का भ्रमण, चित्रकला में पोस्टर बनाना तथा रिंगाल से कलम बनाने, समूह पाँच में  विनोद मल्ल, जसदेव राणा,  दिव्या नौटियाल एवं  रिपिन राणा द्वारा सिलाई मशीन के मुख्य भाग व उनके कार्यों से परिचय, मुखौटा निर्माण, वर्षामापी का निर्माण व घरेलू विद्युत परिपथ, समूह छः में  मनोज भाकुनी, बलवंत सिंह असवाल, सुभाष मौर्य तथा दशरथ सिंह कंडवाल द्वारा प्लंबरिंग नलकारी सिखाने हेतु औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान प्रयोगशाला का भ्रमण, दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सामान्य जानकारी एवं प्रयोग, काष्ठ कला में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों की जानकारी एवं प्रयोग तथा वेल्डिंग के प्रकारों की जानकारी , समूह सात में जितेंद्र सिंह राणा, कुंज बिहारी सकलानी, विजय प्रकाश बड़ोनी व कुलदीप सिंह राँगड द्वारा मानवीय संवाद संप्रेषण कला का विकास, विद्यार्थियों को कम्प्यूटर की सामान्य जानकारी एवं प्रयोग, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य व्यवहार की आदतें तथा ई मेल और इसके उपयोग, डिजिटल साक्षरता ,सायबर सुरक्षा, समूह आठ में मंजू बहुगुणा,  सुमन भट्ट, दलवीर चंद रमोला तथा रजनी द्वारा रक्तचाप, भोज्यपदार्थों का भंडारण, शिष्टाचार संबंधी आदतों का विकास तथा आई. टी. कम्पनी, गूगल का सामान्य परिचय, समूह नौ में  सुजाता सिंह, मयंक देव थपलियाल, मनोरथ प्रसाद तथा  देवेंद्र सिंह द्वारा वितरण प्रबंधन चैनल ,थोक खुदरा एवं ई कॉमर्स, आतिथ्य एवं पर्यटन के अंतर्गत होम स्टे योजना, प्राथमिक चिकित्सा एवं सामान्य रोगों के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी तथा महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की सामान्य जानकारी पर गतिविधियाँ विकसित की गई। समूह दस में  राजेन्द्र बडोनी,  गिरीश तिवाड़ी,  दिलवर सिंह रावत तथा  विजय कुमार द्वारा बस्ता रहित दिवस की अवधारणा, उद्देश्य, लक्ष्य तथा क्रिया विधि के साथ साथ इन दिवसों के संचालन हेतु छात्रों, मार्गदर्शक शिक्षकों, संस्थाध्यक्षों, अभिभावकों तथा समुदाय के लिए विस्तृत दिशा निर्देश तैयार किए गए। प्रत्येक समूह द्वारा दस संक्षिप्त सुझावात्मक गतिविधियों की सूची भी तैयार की गई। इस प्रकार कुल 120 से अधिक गतिविधियों को चिन्हित किया गया है। इन गतिविधियों के अतिरिक्त विद्यालय स्तर पर शिक्षक विषय की मांग एवं स्थानीयता के अनुसार स्वयं से भी गतिविधियों का विकास कर सकेंगे।
समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों द्वारा कहा गया कि कार्यशाला के द्वारा उनकी बस्ता रहित दिवसों के बारे में अवधारणा स्पष्ट हुई है तथा वे इसके महत्व एवं दूरगामी परिणामों से परिचित हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे विद्यालयों में जाकर इन दिवसों का सार्थक संचालन करने हेतु प्रभावी रूप से कार्य करेंगे।

कार्यशाला में एन ई पी प्रकोष्ठ के समन्वयक  रविदर्शन तोपाल द्वारा एन सी एफ के आलोक में सभी गतिविधियों का परीक्षण किया गया तथा श्री सचिन नौटियाल द्वारा कार्यशाला में महत्वपूर्ण तकनीकी एवं संसाधनात्मक दायित्वों का निर्वहन किया गया।

Leave a Comment

%d